-कमलेश भारतीय सर्दी ने कंपकंपाना शुरू कर दिया है और ऐसे में किसान आंदोलन में सक्रिय लोगों पर इसका बुरा असर पड़ सकता है । एक सूचना के अनुसार अब तक ग्यारह किसान इस आंदोलन की भेंट चढ़ चुके हैं और कुछ बीमार भी बताये जा रहे हैं । ये बातें किसान आंदोलन को कमज़ोर नहीं कर पा रहीं । किसानों के हौंसले बुलंद हैं । जोर शोर से नारेबाजी , गीत संगीत और खान पान सब वहीं चर रहा है । युवा भी हैं , प्रौढ़ और बच्चे भी । सबका हौसला देखते ही बनता है । नयी नयी रणनीति बनती है सरकार से टकराने की । सरकार अपने दांव पेंच में लगी है । सोशल मीडिया भी किसान आंदोलन से भरा पड़ा है । किसान आंदोलन के चलते आर्थिक व्यवस्था पर असर दिखने लगा है । टोल प्लाजा से जो लाखों की कमाई रोज़ होती थी , वह जाती रही । तेल , दवाइयों , पैट्रोल , सब्जियों को सप्लाई प्रभावित होने लगी है । यह आंदोलन अगर ज्यादा लम्बा खिंच गया तो हालात और खराब होते चले जायेंगे । आम जनता के बजट पर भी असर पड़ेगा । कारोबार पर तो पड़ ही रहा है । हरियाणा की राजनीति पर साफ साफ असर दिखने लगा है । किसी पार्टी का ग्राफ नीचे जाने लगा है तो वह है जजपा और भाजपा । दोनों अपना अपना घर संभालने और डेमेज कंट्रोल करने में लगी हैं । वैसे तो केंद्र सरकार की छवि भी धूमिल होती जा रही है और बिना किसी बहस के किसानों संबंधी कानून पारित करना अब भूल रखने लगी है तो इसे स्वीकार कर इस आंदोलन को खत्म क्यों नहीं करवा देते? प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाये रखने से आदोलन को गति और भाजपा की छवि दोनों प्रभावित होंगी । Post navigation सामाजिक संदेश देकर जीते पांच पुरस्कार: मोनिका राणा तीन तलाक और तीन कानून