राज्य सरकार को भुगतना पड़ेगा खामियाजा, कारपोरेट के कहने पर बनाए कानून

भिवानी/मुकेश वत्स

 विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल की पूर्व नेता किरण चौधरी सिंधु बार्डर पर किसानों के बीच पहुंची और आंदोलन को खुला समर्थन दिया। उन्होने कहा कि तीनों कृषि कानूनों में संशोधन नहीं, इन्हें रद्द किया जाए। इन कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार को भी भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। अब ये भी स्पष्ट हो गया कि इन कानूनों को कारपोरेट के कहने पर बनाया गया है।

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी सिंधु बार्डर पर आंदोलनरत किसानों के बीच पहुंची और किसानों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि वे एक राजनेता के तौर पर यहां नहीं आईं हैं। वे किसान के तौर पर यहां आईं हैं। वें किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगी। उन्होंने किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी समेत कई किसान नेताओं से मुलाकात की और वर्तमान हालात पर चर्चा की। मीडिया कर्मियों से बात करते हुए किरण चौधरी ने कहा कि पूरे हिन्दुस्तान से भारी तादाद में किसान यहां एकत्र और पूरे हिन्दुस्तान से किसानों को समर्थन मिला, तब सरकार बातचीत के लिए तैयार हुई। सरकार की मंशा अब भी समाधान की नहीं है।

तीनों कृषि कानूनों को काला कानून बताते हुए कहा कि इन कानूनों में संशोधन नहीं, बल्कि इन्हें रद्द किया जाना चाहिए। तभी धरती पुत्र को फायदा होगा। कांग्रेस नेता इन कानूनों की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोविड के समय में इन कानूनों को आनन-फानन में और जबरदस्ती लाया गया है। इन कानूनों से देश का किसान बर्बाद हो जाएगा।

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