पिछले 40 सालो से ज्यादा समय से चल रहे 2003 से पहले स्थापित अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलो को एकमुश्त स्थाई मान्यता की मांग~One State One Union
17 साल बाद भी 2003 से पहले स्थापित अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलो को लगी हाथ निराशा

बंटी शर्मा सुनारिया

हरियाणा में बीजेपी सरकार ने दो दिन पहले अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलो को एक्सटेंशन देकर स्कूलो को राहत देने के साथ साथ उनमे पढ़ने वाले 10 से 12 लाख छात्रो को बड़ी राहत दी थी ये सभी हरियाणा के प्राइवेट स्कूल लम्बे अरसे से मान्यता लेने सम्बंधी नियमो के सरलीकरण की मांग कर रहे हैं।

हरियाणा में 2003 से पहले प्राइवेट स्कूल खोलने के लिए शिक्षा विभाग में कोई नियम नही थे जब हरियाणा में इनेलो की सरकार बनी तो उस समय प्राइवेट स्कूल खोलने के लिए नए नियम निर्धारित किये गए जिससे बहुत से स्कूल किसी कारणवश स्थाई मान्यता लेने से वंचित रह गए और 2003 से अब तक अस्थाई मान्यता के तौर पर चल रहे हैं।

प्राइवेट स्कूलो के लिए नए नियम आने के बाद हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बन गई और 2003 से पहले पिछले 40 सालो से भी ज्यादा समय से चल रहे अस्थाई मान्यता वाले स्कूलों ने हुड्डा सरकार से उन्हें स्थाई मान्यता देने की मांग की तब तक हजारो और ज्यादा ऐसे स्कूल खुल चुके थे, जिन्हें स्कूल खोलने की परमिशन दी जा चुकी थी लेकिन हुड्डा सरकार ने 2007 से पहले ऐसे उन सभी अस्थाई मान्यता और परमिशन को एक ही कैटगरी में रख दिया और 2003 से पहले स्थापित अस्थाई मान्यता और परमिशन को एक ही मान लिया गया।

2003 से पहले अस्थाई मान्यता वाले स्कूलो का एक प्रतिनिधिमण्डल जब उस समय रहे पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा से मिला तो हुड्डा साहब ने 2003 से पहले स्थापित स्कूलों को स्थाई मान्यता देने की सहमति दे दी लेकिन किन्ही कारणों से बात दब गई और उस समय की 2003 से पहले वाले अस्थाई मान्यता वाले स्कूलो की मांग मांग ही बनकर रह गई।

हरियाणा में 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में प्राइवेट स्कूलो को राहत देने की बात कही थी अब बार बार प्राइवेट स्कूल नियमो में सरलीकरण की मांग कर रहे हैं अब सरकार द्वारा नए नियमो बारे अधिसूचना जारी करने की बात कही गई हैं और जल्द ही उन्हें अमलीजामा पहना दिया जायेगा जिसे मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने भी स्कूल शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी हैं।

One State One Union के प्रदेशाध्यक्ष सुमित चावला ने बताया की हरियाणा सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलो की मान्यता लेने बारे जिस प्रस्ताव बारे शिक्षा विभाग द्वारा मंजूरी दी गई हैं यह 2003 से पहले अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलो के लिए लागु करना गलत हैं क्योंकि 2003 से पहले मान्यता लेने सम्बन्धी कोई नियम नही थे और ये सभी ऐसे स्कूल है जो लगभग पिछले 30 से 40 सालो से चल रहे हैं अगर उन पर नए नियम थोपे गए तो ये उन पिछले 40 सालो से ज्यादा समय से चल रहे स्कूलो का हनन होगा और वे बन्द हो जायेगे जिससे उनके सामने रोजी रोटी के लाले पड़ जायेगे जब 2003 से पहले शिक्षा विभाग के पास स्कूल खोलने के नियम ही नही थे तो उन पर नए नियम क्यों थोपे जा रहे हैं । सरकार से हम यह मांग करते हैं की 2003 से पहले के सभी अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलो को एक मुश्त स्थाई मान्यता दी जाए और 2003 के बाद के बाद मिली परमिशन वाले स्कूलो को लगभग 10 साल की एक मुश्त मान्यता दी जाए ताकि सभी स्कूल संचालको के मन में जो भय का माहौल बना हुआ हैं वह दूर हो सके।

2003 और 2007 की मान्यता के अंतर को इस तरह समझे

हरियाणा के बनने के बाद प्राइवेट स्कूल खोलने के कोई नियम नही थे और प्राइवेट स्कूल खुलते गए और शिक्षा विभाग उन्हें स्वयं ही स्थाई मान्यता देता गया लेकिन कुछ स्कूल जो पिछले 40 साल से भी ज्यादा समय से चल रहे हैं किसी कारणवश स्थाई मान्यता नही ले सके और 2003 में नई शिक्षा नियमावली आने पर शिक्षा विभाग ने उन्हें अस्थाई मान्यता की श्रेणी में डाल दिया और वो स्थाई मान्यता लेने से वंचित रह गए। 2003 के बाद भी नए स्कूल खुलने दर बस्तुर जारी रहे और विभाग उन्हें बिना नियम जांचे स्कूल खोलने की परमिशन देता रहा। अतः स्पष्ट है कि 2003 से पहले व 2003 के बाद के स्कूलों को एक ही कैटेगरी में रख कर , एक जैसे नियम लागू करना न्यायसंगत नही है। इस दशा में लाजमी है कि वे स्कूल भी तर्क का विषय बनेंगे जिन्हें 2003 से पहले विभाग द्वारा बिना नियमों के स्थाई मान्यता प्रदान की गई। सरकार से प्राइवेट स्कूलो की यूनियन वन स्टेट वन यूनियन की मांग हैं की 2003 से पहले के सभी अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलो को एक मुश्त स्थाई मान्यता दी जाए।

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