केंद्र सरकार भी किसानों के खिलाफ हिंसा व अत्याचार बन्द करे और उनकी आवाज सुने. कॉन्ग्रेस पार्टी किसानों के भारत बंद का पूर्ण समर्थन करती है

पटौदी 7/12/2020 ‘भाजपा सरकार द्वारा किसान विरोधी काले कानून लागू कर अन्नदाता के भविष्य को अंधकारमय बनाने में यह तानाशाही सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है, अपने हक़ों के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे अन्नदाता की बात को अनसुना कर उनके खिलाफ़ दमनकारी नीतियां अपनाई जा रही हैं।

हम सरकार से मांग करते हैं कि :
अपने अधिकारों का प्रयोग करने वाले किसानों के खिलाफ वह हिंसा और अत्याचार बंद करें तथा किसानों की आवाज और उनकी परेशानियां सुनें’ उक्त कथन कॉन्ग्रेस नेत्री व जिला पार्षद सुनीता वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में व्यक्त किये। प्रेस के नाम जारी पत्र में उन्होंने कहा कि हम सब के लिए किसान, मजदूर का हित सर्वोप्रिय होना चाहिए। इसलिए को सरकार ये तीनों कृषि विरोध काले कानून बिना किसी शर्त के तुरंत वापस लेने चाहिए।

कॉन्ग्रेस नेत्री ने कहा कि ये दुर्भाग्य हि है कि किसानों को अपनी जायज मांग के लिए इतना लंबा संघर्ष करना पड़ रहा है। लेकिन इसके बावजूद किसानों के हौसले बुलंद है। आज पूरा देश किसान के साथ है। सरकार को इसका अहसास किसानों द्वारा आहूत 8 दिसम्बर के भारत बंद से हो जाएगा। वर्मा ने देशवासियों से किसानों की इस लड़ाई में शरीक होने का आह्वान करते हुए कहा कि ये लड़ाई किसानो की अकेली नहीं हम सभी की है, इसलिए कल किसानों के पक्ष में पूरा देश आवाज़ उठायें।

कॉन्ग्रेस नेत्री ने कहा की प्रदेश का उपमुख्यमत्री जिस तरह से किसानों को बरगलाकर बीजेपी के विरोध के नाम पर उनसे वोट हासिल करके सत्ता का सुख भोग रहा है उसे भी किसानों के हितों की खातिर उनके पक्ष में खड़ा होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ये किसान आंदोलन अब जन आंदोलन की बजाए विश्व आंदोलन बन चुका है, पूरी दुनिया उम्मीद भरी आंखों से इन किसानों के संघर्ष की तरफ देख रही है। इसलिए भाजपा को अपने मुट्ठीभर पूंजीपतियों से यारी निभाने के चक्कर मे किसानों से गद्दारी नही करनी चाहिए।

पार्षद वर्मा ने सरकार को चेतावनी के लहजे में साफ चेताया कि सरकार किसानों के धैर्य का इम्तिहान ना ले, जल्द माने मांगे। किसान अपनी मांगों से किसी तरह के समझौते के मूड में नहीं हैं,सरकार आधे अधूरे वादों में उलझाने की कोशिश ना करे किसानों को मजदूर, कर्मचारी, सामाजिक और राजनीतिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है।