7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झण्डा दिवस मनाया गया, मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल को लगाया गया सशस्त्र सेनाओ का झण्डा, जिसके लिए उन्होंने झण्डा कोष में आर्थिक सहयोग भी दिया 

गुरुग्राम, 07 दिसंबर। सशस्त्र सेना झण्डा दिवस के अवसर पर आज हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने सशस्त्र सेना झण्डा कोष में दान देकर देश के बहादुर सैनिको के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री को प्रदेश के सैनिक एवं अर्धसैनिक कल्याण राज्यमंत्री श्री ओम प्रकाश यादव ने गुरूग्राम के लोक निर्माण विश्रामगृह में भारतीय सशस्त्र सेना का प्रतीक चिन्ह् झण्डा लगाया जिसके लिए मुख्यमंत्री ने सशस्त्र सेना झण्डा कोष में धनराशि का दान दिया

श्री मनोहर लाल ने देश की सशस्त्र सेनाओं के सभी जवानों को बधाई व शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि हमारे देश के जवान कठिन परिस्थितियों में अपनी जान की परवाह किए बगैर, सर्तक रहते हुए सीमाओं की रक्षा करते हैं, उन्हीं की बदौलत हम सुख की नींद सो पाते हैं। उन सैनिको व उनके परिवारो के कल्याण के बारे में सोचना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से अपील भी की कि वे स्वेच्छा से सशस्त्र सेनाओं के जवानो के कल्याण के लिए सशस्त्र सेना झण्डा कोष में आर्थिक सहयोग दें।

इस दिवस पर गुरूग्राम के लोक निर्माण विश्रामगृह में उपस्थित राज्यमंत्री ओम प्रकाश यादव तथा गुरूग्राम के विधायक सुधीर सिंगला को जिला सैनिक एवं अर्धसैनिक कल्याण बोर्ड के सचिव कर्नल (सेवानिवृत) अमन यादव ने झण्डा लगाया, जिसके लिए उन्होंने भी झण्डा कोष में धनराशि दान दी। विश्रामगृह में उपस्थित अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों ने भी सशस्त्र सेनाओं का झण्डा लगाया और झण्डा कोष में स्वेच्छा से दान दिया। 

इस मौके पर मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि 7 दिसंबर का दिन सेना और इसके जवाने के लिए खास माना जाता है। इसकी वजह ये है कि इस दिन भारतीय सेना अपने बहादुर जवानो के कल्याण के लिए भारत की जनता से धन संग्रह करती है। इस दिन को सशस्त्र सेना झण्डा दिवस कहा जाता है। भारतीय सेना की तरफ से गणमान्य व्यक्तियों से लेकर  आम जनता को भारतीय सशस्त्र सेना का प्रतीक चिन्ह् झण्डा लगाकर उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने बहादुर जवानो के कल्याण के लिए कुछ आर्थिक सहयोग दें। इस झण्डे में शामिल लाल, गहरा नीला और हल्के नीले रंगों की पट्टियां तीनो सेनाओं को प्रदर्शित करती हैं। 

श्री मनोहर लाल ने बताया कि सन् 1949 में पहली बार इस दिन को मनाया गया था और तब से लेकर आज तक यह निरंतर मनाया जा रहा है। ये दिन हमंे इस बात का भी अहसास दिलाता है कि सीमा पर मुश्किल हालातो में डटे जवानो के परिजनों के लिए हम भी दूसरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। इस दिन को मनाने के पीछे तीन अहम मकसद हैं। इसमें पहला मकसद युद्ध के दौरान होने वाली हानि में सहयोग करना, दूसरा मकसद सेना के जवानो और उनके परिवारों की मुश्किल हालात मंे मदद करना और तीसरा मकसद रिटायर हो चुके जवानो व उनके परिवारों का कल्याण करना है। उन्होंने यह भी कहा कि इस दिन को मनाने का एक बड़ा मकसद यह भी था कि देश की जनता अपने बहादुर सैनिको के प्रति अपना आभार व्यक्त कर सके तथा साथ ही उन्हें इस बात का भी एहसास हो सके कि उनकी और उनके परिवार की मदद करना कितना जरूरी है। सेना के जवानो की मदद और उनके कल्याण के लिए ये दिन केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी मनाया जाता है। इसमें ब्रिटेन जहां इसकी शुरूआत 1956 में हुई थी। इसके अलावा, साइप्रस, केनिया और नाइजीरिया शामिल हैं। 

प्रदेश के सैनिक एवं अर्धसैनिक कल्याण राज्यमंत्री ओम प्रकाश यादव ने भी इस मौके पर अपने विचार रखते हुए कहा कि इस दिन देश के लाखो लोग सेना के जवानों के लिए आर्थिक सहयोग में भागीदारी निभाते हैं। इसके अलावा कोई भी इच्छुक व्यक्ति केंद्रीय सैनिक बोर्ड की वैबसाईट पर जाकर भी आॅनलाईन अपना सहयोग इसमे कर सकता है। उन्होंने बताया कि 28 अगस्त 1949 को भारतीय सेना के जवानो के कल्याण के लिए धन एकत्रित करने के मकसद से एक कमेटी का गठन किया गया था जिसकी सिफारिश के बाद ही 7 दिसंबर को इस दिन के लिए चुना गया है। इस अवसर पर उपायुक्त अमित खत्री, पुलिस आयुक्त के के राव, नगर निगम आयुक्त विनय प्रताप सिंह, गुरूग्राम के एसडीएम जितेंद्र कुमार भी उपस्थित थे। 

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