पंचकूला, 06 दिसम्बर। फार्मेसी कौंसिल के पूर्व चेयरमेन की सदस्यता रद्द करने का मामले में उच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधान केसी गोयल के पक्ष में फैसला दिया।
पूर्व चेयरमेन केसी गोयल ने कहा कि वह सन् 1983 से लगातार कौसिंल के सदस्य है। सन् 1996 से 2007 तक बतौर प्रधान अपनी सेवाएं दी। गोयल ने बताया कि सन् 2014 से दिसंबर 2017 तक दूसरी बार प्रधान पद की जिम्मेवारी सौपी गई लेकिन फिर भी राजनितिक दबाव और उच्च स्तरीय मंत्रियों की दखल अंदाजी से उनकी सदस्यता को रद्द किया गया जो कि उनके अधिकार क्षेत्र में नही आता। उन्होने बताया कि कानूनों से ऊपर होकर उनकी सदस्यता को रद्द किया गया जिसको हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और उच्च न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला देकर सच्चाई को बुलंद किया।
गोयल ने बताया कि मंत्रियों की दखलअंदाजी से फर्जी बोर्ड से बारहवी पास के आधार पर रजिस्ट्रार नियुक्त किए गया। जिसके विरूद्ध आवाज उठाई तो अपनी पावर दिखाते हुए सरकार के मंत्रियों की दखल अंदाजी से उनकी सदस्यता रद्द क र दी और फार्मेसी कौसिंल के दफ्तर को नियमों की अवहेलना करते हुए निजी दूकान बना दिया। निजि दूकान बनाने वाले के विरूद्ध आवाज उठाने पर सदस्यता रद्द कर दी गई।
गोयल ने बताया कि वर्षो से उन्होने हरियाणा फार्मेसी कौंसिल के लिए अपना तन-मन-धन लगाया है ताकि हरियाणा के फार्मासिस्टों को किसी प्रकार की परेशानी ना हो लेकिन अवैध रूप से रजिस्ट्रार नियुक्त करके फार्मासिस्टों को भी परेशान किया गया। गोयल ने बताया कि लगभग दो साल से प्रदेश के फार्मासिस्ट रजिस्ट्रेशन को लेकर परेशान है क्योकि कौसिल में कोई सुनवाई नही होती। उन्होने प्रदेश के फार्मासिस्टों से आह्वान किया है कि अगर किसी प्रकार की कोई परेशानी है तो तुरंत उनसे सम्पर्क करे ताकि उनकी समस्याओं का समाधान करवाया जा सकें। गोयल ने बताया कि 15 दिनों में रजिस्ट्रेशन एवं उसका नवीनिकरण होकर फार्मासिस्ट के पास पहुंच जाता था लेकिन सरकार की दखलअंदाजी व मंत्रियों की कारगुजारी के कारण आज हरियाणा फार्मेसी कौसिंल अपनी बदहाली पर आसूं बहा रही है।