पंचकूला, 06  दिसम्बर। दो लाख एनपीएस कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन नीति की बहाली की मांग के लिए संघर्षरत पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा (पीबीएसएस) केंद्र सरकार द्वारा लोकतांत्रिक परंपराओं को दरकिनार कर पारित किए गए तीनों कृषि अध्यादेश के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन और किसान संगठनों द्वारा किए जा रहे आंदोलन का पूर्ण समर्थन करता है। प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल और महासचिव ऋषि ने बताया की जैसे केंद्र सरकार द्वारा विश्व बैंक और अंतरराष्टÑीय मुद्रा कोष के दबाव में पूंजीवादी व्यवस्था के तहत केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था को बंद कर बाजार आधारित नेशनल पेंशन सिस्टम लागू किया गया जिसके तहत कर्मचारियों के वेतन का 10 प्रतिशत और इतना ही सरकार अपने खजाने से एनएसडीएल के माध्यम से बाजार में निवेश निवेश करती है  जिसमें कर्मचारियों के लिए ना तो निश्चित रिटर्न की गारंटी और ना ही  निश्चित पेंशन का प्रावधान इसमें सीधे तौर पर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है।

एनपीएस के तहत सालों सेवा और लाखों रुपए निवेश के बावजूद कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर नाममात्र की पेंशन मिल रही है जो कर्मचारी वर्ग का आर्थिक सामाजिक शोषण करती है।

ठीक इसी प्रकार तीन कृषि कानूनों एवं बिजली एक्ट 2020 के माध्यम से देश के अन्नदाता किसान और उनके परिवार को भी पूंजीवादी व्यवस्था के हवाले करने का प्रयास किया जा रहा है इन कानूनों से केवल चंद पूंजीपतियों को लाभ होगा जिस प्रकार 2004 से कर्मचारियों पर लागू एन पी एस से कर्मचारियों की बजाए पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है।

पीबीएसएस किसान आंदोलन और 8 दिसम्बर को भारत बंद का पूर्ण समर्थन करता है और केंद्र सरकार से जल्द से जल्द तीनों कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग करता है। विजेंद्र धारीवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि पीबीएसएस किसानों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का तन मन और धन से सहयोग करने को कृत संकल्प है और किसान संगठनों द्वारा जारी आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेंगी।

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