जाटोली मंडी और फरुखनगर अनाज मंडी में ठप रहा काम.
व्यापारियों का आरोप सरकार किसान व्यापारी में डाल रही फूट

फतह सिंह उजाला

पटौदी । एमएसपी सहित नए कृषि बिल को लेकर आंदोलनरत किसानों के समर्थन में फटौदी क्षेत्र की अनाज मंडियों में भी व्यापारियों और आढ़तियों के द्वारा 1 दिन की सांकेतिक हड़ताल करते हुए अपना समर्थन दिया गया। इस मौके पर जाटोली अनाज मंडी और फरुखनगर अनाज मंडी में मंगलवार को किसी भी प्रकार का अनाज संबंधित खरीद-फरोख्त का काम नहीं किया गया। जिन किसानों के द्वारा अपना कृषि उपज लाया जाना था और व्यापारियों के द्वारा जींस का आवागमन किया जाना था , उस काम को भी व्यापारियों ने पूरी तरह से ठप रखा ।

हेली मंडी अनाज मंडी के व्यापारी पुरानी अनाज मंडी में शिव मंदिर परिसर में धरने पर बैठे रहे । इस मौके पर हेली मंडी व्यापार मंडल के अध्यक्ष रमेश गर्ग सेठी, पूर्व अध्यक्ष एवं जिला के अध्यक्ष दिनेश गोयल, पालिका पार्षद और व्यापारी मदन लाल अग्रवाल , आनंद भूषण, सुभाष पहाड़ी, गोल्डी शर्मा , धर्मपाल अग्रवाल, धीरज गर्ग, अनिल रूस्तगी, हरीश गोयल व अन्य के द्वारा केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए नए कृषि बिल के विरोध में नारेबाजी भी की गई।

इस मौके पर व्यापारी नेता रमेश गर्ग सेठी और दिनेश गोयल ने कहा की देश का किसान वास्तव में अन्नदाता है, जोकि दिन रात मेहनत करके गर्मी हो या सर्दी आंधी हो या तूफान रात हो या दिन हर हाल में खेत में काम करते हुए अनाज उपजाकर सभी का पेट भर रहा है। सैकड़ों वर्षो से चली आ रही अनाज खरीद की मंडी व्यवस्था को मौजूदा केंद्र सरकार योजनाबद्ध तरीके से ठप करने का प्रयास कर रही है । रमेश गर्ग सेठी ने आरोप लगाया कि केंद्र की सरकार किसानों और व्यापारियों तथा आढ़तियों के बीच में फूट डालने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है । व्यापारी अथवा आढ़ती केवल मात्र 1 प्रतिशत पर ही पूरे देश में विभिन्न प्रकार के जींस की आपूर्ति करता आ रहा है । वही केंद्र सरकार के द्वारा व्यापारी वर्ग को जोकि किसानों की उपज की खरीद-फरोख्त कर सरकार को उपलब्ध करवाता आ रहा है उसे ही कमीशनखोर ठहराया जा रहा है ।

व्यापारी नेता दिनेश गोयल और आनंद भूषण ने कहा वास्तव में व्यापारी और किसान के बीच में कई पीढ़ियों से चला आ रहा पारिवारिक रिश्ता और मजबूत संबंध आज भी कायम है। किसान अगर सबसे अधिक भरोसा करता है तो वह केवल अपनी उपज बेचने के लिए व्यापारी अथवा आढती पर ही करता है। हम लोग किसान भाइयों को सर्विस प्रोवाइड करवाते हैं, कमीशन खोर नहीं है । एक देश, एक संविधान, एक कानून की दुहाई देने वाली केंद्र की मोदी सरकार की ऐसी यह क्या नई सोच है कि वह परंपरागत चली आ रही मंडियों के समानांतर नई मंडिया आबाद करने पर उतारू है ? व्यापारी वर्ग के द्वारा दो टूक कहा गया कि किसी भी सरकार को बनाने में व्यापारी वर्ग का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है । यदि समय रहते किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया गया और नए कृषि बिल वापस नहीं लिए गए तो आने वाले समय में इसका सबसे अधिक खामियाजा सत्तासीन पार्टी भाजपा को ही भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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