चरखी दादरी जयवीर फोगाट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों की एक बैठक आयोजित हुई जिसकी अध्यक्षता बार एसोसिएशन के नवनियुक्त प्रधान सुरेंद्र सिंह मैहड़ा ने की। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लेते हुए दादरी बार एसोसिएशन के सभी पदाधिकारी एवं सदस्यों ने एकजुट होकर किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया। बार के प्रधान सुरेंद्र मैहड़ा व सचिव दीपक कुमार श्योराण ने कहा है कि शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे निहत्थे किसानों पर पुलिस प्रशासन द्वारा लाठीचार्ज करना एक घिनौनी और ओच्छी हरकत है। हम सब प्रशासन की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। प्रधान ने कहा कि जिन किसानों पर प्रशासन द्वारा झूठे मुकदमे बनाए गए हैं, उन सभी मुकदमों की निशुल्क पैरवी की जाएगी। बैठक के समापन पर प्रधान सुरेंद्र सिंह मैहड़ा, उप प्रधान अजय छिकारा, सचिव दीपक कुमार, खजांची राजवीर वर्मा, सह-सचिव संदीप जांगड़ा आदि ने दादरी बार ऐसासिएशन से वकीलों के प्रतिनिधि मण्डल को दिल्ली के लिए रवाना किया। दिल्ली के लिए रवाना हुए प्रतिनिधि मण्डल में अधिवक्ता संजीव तक्षक, अधिवक्ता संजीव गोदारा, अधिवक्ता विजेंद्र सांगवान, अधिवक्ता वीरेंद्र डूडी, अधिवक्ता प्रवीण तक्षक, विशाल, जितेंद्र, पवन, अनिल आदि मुख्य रूप से शामिल है। दादरी बार के नवनियुक्त प्रधान सुरेंद्र सिंह मैहड़ा ने काफिले को हरी झंड़ी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर पदाधिकारियों के साथ साथ बार के अन्य अधिवक्ता सुदीप सांगवान, पूर्व प्रधान प्रवीण श्योराण, आनंद सिंह बिजारणिया, पूर्व प्रधान वेद पाल सांगवान, पूर्व प्रधान दरियाव सिंह वरिष्ठ अधिवक्ता, देवेंद्र चाहर पूर्व सचिव, नसीब राणा पूर्व सचिव आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर अधिवक्ता संजीव तक्षक ने दिल्ली के लिए रवाना होते हुए कहा कि हम सब किसान का दिया ही खाते है और किसान द्वारा उपजाऊ खेती से अपना जीवनयापन करते है। यदि किसान मरेगा तो हम भी नहीं बचेंगे और किसान नहीं बचेगा तो खेती कहा से होगी। जिसका हम सदैव नमक खाते आ रहे है अब उसका कर्ज उतारने का वक्त है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र का हर वर्ग चाहे कोई व्यापारी है, चाहे कोई नौकरी-पेशे वाला, चाहे मजदूर वर्ग आदि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसान की खेती पर निर्भर है। हमारी जीडीपी भी किसान की आय पर आश्रित है। उन्होंने क्षेत्र के सभी लोगों से अपील की है कि आओ हम सब मिलकर अन्नदाता को मजबूत करें तथा किसान आंदोलन का समर्थन कर किसान विरोधी तीन बिलों को समाप्त करने के लिए हक की लड़ाई लड़कर किसानों का मनोबल बढ़ाएं। इस अवसर पर सभी ने एकजुट होकर कहा कि तीन कृषि कानून जिनको किसान विरोधी मानते है। उनको सरकार तुरंत प्रभाव से वापिस ले या एम.एस.पी. के लिए एक अन्य कानून बनाकर किसानों को आश्वस्त करें कि उनका उत्पाद कहीं भी एम.एस.पी. से कम रेट पर नहीं खरीदा जाएगा और ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी रूप से सजा का प्रावधान किया जाए। Post navigation सामाजिक क्रांति के अग्रदूत थे महात्मा ज्योतिबा फुले : रीतिक वधवा किसान विरोधी नीतियों के विरोध में नारेबाजी