•             शांतिपूर्ण किसान आंदोलन को दबाना तानाशाही. •             पर्दे के पीछे से गिरफ्तारी के आदेश देने वालों को पहचान चुका है किसान. •             प्रजातांत्रिक तरीके से आन्दोलन किसानों का संवैधानिक अधिकार, सरकार उसे छीन रही. •             समर्थन मूल्य की गारंटी के बगैर किसी क़ानून का कोई औचित्य नहीं

चंडीगढ़24 नवम्बर। राज्य सभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज 3 नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की गिरफ्तारी की कठोर शब्दों में निंदा की है। दीपेन्द्र हुड्डा ने किसानों की मांगों को खुला समर्थन देते हुए कहा कि प्रजातांत्रिक तरीके से चलाया जा रहा आन्दोलन किसानों का संवैधानिक अधिकार है। सरकार उनके इस अधिकार को छीनने का काम कर रही है। पूरे हरियाणा से किसान नेताओं को हिरासत में लेने की खबरें आ रही है। शांतिपूर्ण किसान आंदोलन को दबाना तानाशाही है। विडम्बना है कि ये तानाशाही चौ. छोटूराम जयंती पर हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय किसान यूनियन व अन्य किसान संगठनों का दिल्ली चलो आंदोलन किसानों में 3 कृषि क़ानूनों को लेकर बढ़ते असंतोष का द्योतक है। भाजपा सरकार जो दमनकारी नीति अपना रही है वो आगे चलकर उसे बहुत महँगी पड़ेगी।

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने किसानों के मसीहा दीनबंधु चौधरी सर छोटूराम जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि छोटूराम जी ने किसानों को कहा था कि ‘ए भोले किसान, मेरी दो बात मान ले.. एक बोलना सीख, एक दुश्मन को पहचान ले’। किसानों की बात सुनने की बजाय हरियाणा की भाजपा+जजपा सरकार तानाशाही करने पर उतर आई है। हरियाणा में बीती रात फतेहाबाद, हिसार, झज्जर, सिरसा सहित अलग-अलग जगहों पर बिना किसी वारंट के कई किसान नेताओं के घर छापेमारी और अवैध ढंग से धरपकड़ की खबरें आई हैं। किसानों का कहना है कि उनके दिल्ली कूच के एलान से डरी बीजेपी+जजपा गठबंधन सरकार के आदेश पर ही रात के अंधेरे में गिरफ्तारी की जा रही है। गिरफ्तारी की वजह पूछने पर पुलिस सिर्फ इतना ही बता रही है कि ‘ऊपर से आदेश हैं’। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि पर्दे के पीछे से गिरफ्तारी के आदेश देने वालों को किसान पहचान चुका है।

उन्होंने कहा कि किसानों की मांगें उचित और जायज हैं, सरकार इन मांगों को तुरंत स्वीकार करे और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दे। समर्थन मूल्य की गारंटी के बगैर किसी क़ानून का कोई औचित्य नहीं। देश भर के किसान 3 नये किसान विरोधी कानूनों का विरोध कर रहे हैं। हमारे किसानों को दो मंडी का सिस्टम स्वीकार्य नहीं है। आज सारे देश का किसान चिंताग्रस्त है कि उसकी फसल का क्या होगा। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि वो किसान की आय दोगुनी करने की बात कर रही है। लेकिन, किसान की आय दोगुनी करने के 2 ही तरीके हैं। पहला, या तो किसान को उसकी फसल का दोगुना भाव मिले और दूसरा, फसल उत्पादन दोगुना हो। सरकार दोगुना भाव तो दे ही नहीं रही उलटे खरीद पर सीमा निर्धारित कर दी है। दोगुने उत्पादन का तो कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने यह भी जोड़ा कि दुनिया का ये पहला ऐसा देश है जहाँ सरकार किसान को प्रोत्साहित करने की बजाय तरह-तरह के हथकंडे अपना कर किसान को हतोत्साहित कर रही है।

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि आज किसान अपनी फसल बेचने के लिए दर-दर की ठोकर खा रहा है। प्रदेश की मंडियों में अघोषित रूप से खरीद बंद है। सरकार और खरीद एजेंसियां तरह-तरह के बहाने बना रही हैं। टोकन काटने के बावजूद कपास और बाजरा किसानों को टरकाया जा रहा है। कड़ी मेहनत से उपजाई किसानों की फसल खुले में पड़ी हुई है। जिसको लेकर किसान चिंतित हैं और मंडियों में किसानों के रोष-प्रदर्शन के साथ मंडी गेटों पर ताला जड़ने की नौबत आ रही है।

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