भिवानी/शशी कौशिक वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री सविता मान ने कहा कि सरकार किसानों को कमजोर करने लिए हर रोज नए कानून ला रही है। पहले तीन कृषि अध्यायदेश लाए गए। जिनमें किसानों को पूंजीपतियों के हवाले किया गया है। प्राईवेट कम्पनियों को लाभ पहुंचाने के लिए भण्डारण की स्टोर सीमा को खत्म किया गया। जिसे कम्पनियां किसानों से सस्ते में अनाज खरीदकर महंगे दामों में बेचेंगे। सरकार पर इसका कोई नियंत्रण नहीं होगा। जिसे महंगाई बढ़ेगी। प्रधानमंत्री द्वारा यह कहना है कि मंडी से बिचौलिये खत्म कर देगे। इससे साफ संकेत आढ़ती की तरफ है। यदि आढ़ती नहीं होगा तो मंडी कैसे चलेगी। यदि मंडी नहीं चलेगी तो न्यनूतम समर्थन मूल्य कहा रह जायेगा। मंडी में मजदूरों की मजदूरी खत्म हो जाऐगी। किसान कन्ट्रेक्ट में भी किसानों को नुकसान होगा। इसमें किसान अपने ही खेत में मजदूर बनकर रह जाऐंगे। अब किसानों के खिलाफ प्रदूषण फैलाने के नाम पर कानून बनाया गया है। किसान द्वारा पराली जलाए जाने पर किसानों को हजारों रूपए जुर्माना तथा पांच साल की सजा का प्रावधान है। किसान का पराली जलाना उनकी मजबूरी है क्योंकि गेंहू की फसल बोने के लिए पराली जलाना होता है ये केवल दस दिन ही चलता है। प्रदूषण तो कारखाने से निकलने वाले धुंए से भी होता है, जो 12 माह धुआं उगलता है रहता है। उनके खिलाफ कोई कानून नहीं है। अब जल्द ही केंद्र सरकार द्वारा बिजली संबंधित कानून लाया जा रहा है। जिसमें किसानों को सिंचाई के लिए मिलने वाली सस्ती बिजली को बंद किया जा रहा है। जबकि किसानों सस्ती बिजली देना या नहीं देना पूर्ण रूप से राज्य सरकार के अधीन क्षेत्र में आता है। सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी का झूठा प्रचार कर रही है। वास्तविकता यह है कि यदि यह सभी किसान विरोधी नीतियां लागू रही तो किसानों की अब जो आमदनी है, वह भी खत्म हो जाऐगी। Post navigation किसानों की समस्याओं को लेकर उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने शिक्षा बोर्ड के सचिव के दिया मांगपत्र