जिनके बिगड़े हैं बही खाते, वो हमारा हिसाब लिए फिरते हैं – दिग्विजय चौटाला

चंडीगढ़, 17 नवम्बर 2020. जननायक जनता पार्टी के नेता दिग्विजय चौटाला ने इनेलो नेताओं की जेजेपी पर टिप्पणी के खिलाफ सख्त जवाबी हमला बोला है। दिग्विजय चौटाला ने मीडिया में आए इनेलो नेताओं के उस बयान की कड़ी निंदा की जिसमें जेजेपी के टुकड़े टुकड़े होने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा कि यह सोच देशविरोधी तत्वों की सोच से मेल खाती है और इतिहास गवाह है कि ऐसे लोगों का अंजाम कभी अच्छा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इनेलो नेता अभय चौटाला हमेशा तोड़ने की बात करते हैं जो उनकी पार्टी के हस्र की प्रमुख वजह है।

दिग्विजय चौटाला ने कहा कि दो साल पहले तानाशाही कर डॉ अजय सिंह चौटाला और तत्कालीन सांसद दुष्यंत चौटाला को इनेलो से निकालकर अभय सिंह ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी थी और उनकी इस हरकत को आज इनेलो से जुड़े लोग भुगत रहे हैं। अभय चौटाला की ओर से जेजेपी को टुकड़े टुकड़े गैंग कहे जाने पर दिग्विजय ने कहा कि गैंग और गैंगस्टर जैसे शब्द सुनते ही हरियाणा के लोगों के जहन में किसका चेहरा आता है, यह किसी से छिपा नहीं है। उन्होंने कहा कि डॉ अजय सिंह चौटाला और जेजेपी की छवि सकारात्मक और विकासवादी राजनीति की है जबकि इनेलो और इनेलो नेताओं को आज अपने अस्तित्व का खतरा हो गया है।

दिग्विजय ने हैरानी जताई कि इनेलो की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जेजेपी को लेकर मंथन किया गया है। उन्होंने कहा कि खुद के भविष्य में इनेलो को कोई गुंजाइश नजर नहीं आती इसलिए दूसरों के प्रति भड़ास निकाल कर ही दिल को बहलाया जा रहा है। दिग्विजय ने कामना की कि भगवान इनेलो नेताओं को सदबुद्धि दे।

दिग्विजय चौटाला ने कहा कि बरोदा चुनाव में पूरी ताकत लगा देने के बावजूद इनेलो चौथे नंबर पर रही और 5000 का आंकड़ा तक नहीं छू पाई। इतने वोट तो प्रदेश के बड़े गांवों में सरपंच के उम्मीदवार ले लेते हैं। ये भी दिलचस्प बात है कि चार प्रतिशत वोट हासिल कर इनेलो बरोदा का रुझान अपने पक्ष में होने के दावे कर रही है। दिग्विजय ने कहा कि बीते दो साल में इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कर्ता धर्ता स्तर के लगभग सभी नेता इनेलो छोड़ चुके हैं और वे अपनी बैठकों में दिल बहलाने के लिए जेजेपी के टुकड़े होने की कामना करते हैं। इस पर दिग्विजय ने किसी गुमनाम शायर की पंक्तिया याद की..

लहजे में बदजुबानी, चेहरे पर नकाब लिए फिरते हैं, जिनके खुद के बिगड़े हैं बही खाते, वो हमारा हिसाब लिए फिरते हैं।

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