जीवन में आने वाला प्रत्येक पल ही एक नया जन्मदिन. शुक्रवार को महामंडलेश्वर धर्मदेव को जन्मोत्सव पर दी बधाई फतह सिंह उजालापटौदी । बीते हुए समय और अतीत के अच्छे कार्यों को अपने जीवन में आत्मसात करके जीना ही सही मायने में जन्मोत्सव की परिभाषा और व्याख्या हो सकती है । यह बात शुक्रवार को आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय शिक्षण संस्थाओं के अधिष्ठाता वेदों के मर्मज्ञ समाज सुधारक और चिंतक महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज ने अपने 59वें जन्मोत्सव के मौके पर कही। महामंडलेश्वर धर्मदेव को उनके 59 में जन्मोत्सव पर शुभकामनाएं और बधाई देने वालों का सुबह से ही आश्रम हरी मंदिर परिसर में आवागमन लगा रहा । इस मौके पर हुई बातचीत में महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव ने कहा की सही मायने में सभी प्राणियों को वर्तमान में ही जीना चाहिए और बीते हुए कल अथवा अतीत के अच्छे नेक सद्कर्मों को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए । सही मायने में कुदरत ने और सर्व शक्तिमान परमात्मा ने प्रत्येक प्राणी और इंसान की जीवन जीने की समय सीमा तय की हुई है । जन्म लेना और चिर निद्रा में लीन होना , यह भी जन्मोत्सव की एक महत्वपूर्ण कड़ी है । उन्होंने कहा की बीते हुए समय का तात्पर्य यह है कि जो लोग इस नश्वर संसार को त्याग चुके हैं अथवा छोड़ चुके हैं, ऐसे तमाम महापुरुषों, ऋषि-मुनियों , हुतात्माओं के द्वारा किए गए जनहित , समाज हित, राष्ट्रहित के कार्यों को अपने जीवन में सभी को आत्मसात करते हुए भविष्य की पीढ़ी को इन सब बातों से अवगत भी करना चाहिए । साधु, संत , सन्यासी इनका तो अपना व्यक्तिगत कोई जीवन नहीं होता है । साधु ,संत ,सन्यासियों का जीवन केवल और केवल समाज और राष्ट्र के निर्माण के लिए अर्पित और समर्पित रहता है । साथ ही उन्होंने यह नसीहत भी दी कि भौतिकवादी युग में जन्मोत्सव को अनावश्यक भव्य नहीं बनाया जाना चाहिए । यदि समाज के साधन संपन्न लोग अपने परिजनों या फिर बच्चों के जन्मोत्सव जैसे आयोजन को समाज के गरीब , उपेक्षित और जरूरतमंद लोगों के साथ मनाएं तो इसका आनंद और खुशियां इस हद तक आत्म संतुष्टि प्रदान करेंगे कि उस खुशी को कितना भी धन खर्च करने के बाद भी हासिल नहीं किया जा सकता है । महामंलेश्वर धर्मदेव ने कहा जीवन भगवान राम और प्रकांड विद्वान रावण ने भी जिया। लेकिन राम को पूजते हैं और रावण का पुतला जलाया जाता है । पुतला जलाने का एक ही कारण है कि रावण के द्वारा अपने जीवन में ऐसी गलतियां कर दी गई जोकि समाज कभी भी स्वीकार नहीं कर सकेगा। इसी प्रकार से जन्मदिन अथवा जन्मोत्सव को भी एक अलग प्रकार से इसके महत्व सही संदेश को समझने की आज के परिवेश में सभी को जरूरत है। Post navigation मजदूर हो या रईस , लक्ष्मी पूजन के लिए मिट्टी के दिए जलाते ग्रामीण अंचल में धूमधाम से मनाया गया अन्नकूट पर्व