भारत सरथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम भाजपा विधानसभा चुनाव के समय से गुटों बंटी नजर आ रही थी। पुराने कार्यकर्ता अपनी अनदेखी से परेशान हो अपने घर बैठ गए थे। कुछ नए अपना-अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए अलग-अलग गुट तैयार करने लगे। तात्पर्य यह है कि विधानसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा को एकजुट करने के प्रयास न तो जिला अध्यक्ष की ओर से किए गए और न ही प्रदेश अध्यक्ष की ओर से।

इसी समय में संगठन चुनाव की बात आ गई तो कार्यकर्ता अपना-अपना कद हाइकमान के सामने बड़ा दिखाने की चेष्टा में प्रेस में छाये रहने का प्रयास करने लगे। उसी प्रयास में कुछ लगे रहे, कुछ संगठन चुनाव में देरी होने के कारण थक-हारकर बैठ गए। तात्पर्य यह है कि भाजपा संगठन गुरुग्राम में कहीं दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन अलग-अलग भाजपा के नेता अवश्य भाजपा का प्रचार करते दिखाई दे रहे थे लेकिन गंभीरता से देखने पर ज्ञात हो रहा था कि उनका लक्ष्य भाजपा के प्रचार से अधिक अपने प्रचार में था।

बड़े इंतजार के बाद जिला अध्यक्षों की घोषणा हुई। जिला अध्यक्ष श्रीमती गार्गी कक्कड़ को बनाया गया। उनके साथ भी भाजपा संगठन का जुड़ाव नजर नहीं आया। ऐसा ही लगता रहा कि संगठन में अपनी ढपली-अपना राज वाली बात चल रही है। यह बात खुलकर तब सामने आई, जब प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का जन्मदिन था। तो भाजपा के जिला सचिव की ओर से प्रेस नोट जारी किया गया कि सभी कार्यकर्ता जिला अध्यक्ष समेत उनके नेतृत्व में धनखड़ जी को जन्मदिन की बधाई देने गए और उन्हें रथ भेंट किया।

यह दूसरी बात है कि कुछ समय पश्चात उनकी तरफ से यह भी विज्ञप्ति आई कि कृपया इसे न छापें। दूसरा प्रेस नोट भाजपा संगठन की ओर से आएगा। यह बात पर्याप्त थी कि संगठन में कितना अनुशासन है, यह बताने के लिए।

 वर्तमान में जिला अध्यक्ष की ओर से मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति की गई। उससे गुरुग्राम भाजपा संगठन में  और असंतोष फैल गया। कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने बताया कि अनुशासन, वरीयता, नियम सभी को ताक पर रखकर नियुक्ति की गई है। जिनमें एक नाम प्रियवर्त कटारिया का भी है, जो निगम का चुनाव भाजपा उम्मीदवार के सामने निर्दलीय लड़े थे और पार्टी ने उन्हें 6 वर्ष के लिए निश्काषित किया था। इसी प्रकार एक नाम अभिषेक गुलाटी का बताया जाता है। भाजपाइयों का कहना है कि उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं।

इसी प्रकार चारू चंद्र निर्मल, श्रवण आहूजा को भी मंडल की जिम्मेदारी दी गई है। इनके बारे में भी कार्यकर्ता कहते हैं कि हम तो इन्हें जानते भी नहीं कि ये कब भाजपा के सदस्य बने और सक्रिय सदस्य बने भी कि नहीं। अब यह तो आने वाला समय बताएगा कि यह असंतोष खुलकर सामने आने पर क्या गुल खिलाएगा, यह भी सुनने में आया है कि कुछ भाजपाई जब मोहन भागवत जी यहां आएंगे तो उनसे भी मिलने की बात कर रहे हैं।

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