गुरुग्राम शहर के एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) पर अंकित आंकड़े नागरिकों की चिंता का सबब बन कर उभर रहे हैं , ईन आंकड़ों पर नजर डालें तो एनसीआर (NCR)के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों की श्रेणी में टॉप पर आ गया है गुरुग्राम !

स्थानीय प्रसाशन द्वारा की गई तमाम गतिविधियां नाकाफ़ी साबित हो रही हैं , जलभराव की समस्या से भी बड़ी समस्या के तौर उभर रही है प्रदूषण की समस्या मगर प्रशाशन गंभीरता से इससे निपटने की बजाय अपनी आय के साधन जुटाने में लगा है – खुले में पड़े डस्ट , मलबा , भवन निर्माण करने वालों के करीब 30 लाख रुपए के चालान काटने की कार्यवाही को अंजाम देकर प्रदूषण की रोकथाम के लिए महज कुछ पानी के टैंकरों से छिड़काव करा अपने कार्यों की इतिश्री कर ले रहा है !

कोरोना के कारण होने वाली मौतों से भी अधिक जानलेवा साबित हो रहा प्रदूषण जिससे स्वांस लेने में कठिनाई ,आँखों में जलन के साथ फेफड़ों में इंफेक्शन , ह्रदयाघात के मामले बढ़ रहे हैं सांस सम्बंधित रोगियों का जीना दूभर हो चुका है , लोगों का सुबह-शाम सैर पर जाना तो दूर जरूरी कार्य के लिए भी नहीं निकल पा रहे हैं यहां तक कि लोगों का घर में रहना भी मुश्किल हो गया है !
अस्पतालों में लोगों की भीड़ लग रही है शोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही हैं , कोरोना पेशेंट्स के बढ़ने का सिलसिला फिर से रफ्तार पकड़ चुका है ,

लोकडाउन में अव्यवस्थित हुई स्तिथियों के बाद पुनः जीवन जीने की दौड़ में प्रदूषण रूपी राक्षस ने परेशानियों का पहाड़ खड़ा कर दिया है अचानक लोगों पर इलाज़ के लिए भारी खर्च की मुसीबत को पैदा हो गई है – कुल मिलाकर जनमानस संकट के दौर से गुजर रहा है मगर न तो ठोस उपाय अधिकारियों द्वारा तलाशे जा रहे हैं और न जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई मार्गदर्शन किया जा रहा है !
बड़े कॉरपोरेट , मेडिकल हब ,इंडस्ट्रीज हब ,आईटी हब , एमएनसीज , मिलेनियम सिटी , स्मार्ट सिटी , हाई प्रोफाइल सेलेब्रिटीज़ ,मॉल्स डिस्को जैसी लाइफ स्टाइल वाला शहर गुरुग्राम जिसकी हालात बद से बदतर रख छोड़ी है सरकार और उसके प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता ने !
एनजीटी(NGT ) कोई आदेश देता भी है तो उनपर अमल नहीं किया जाता है बल्कि उसमें भी अपनी आय तलाशते हैं अधिकारी – लोगों को संदेह है कि फाइव स्टार हॉस्पिटल्स द्वारा वस्तुत स्तिथि बनाए रखने के लिए कोई सांठ-गाँठ तो नहीं भी कर रखी है शायद इसलिए कोई योजना को नहीं बनाया जा रहा है जब्कि सभी विभागों में इंजीनियर्स की वरिष्ठ अधिकारियों की लंबी चौड़ी सूची है मगर फिर भी यह स्यिथियाँ हैं क्यों ?

यह उदासीनता घातक सिद्ध होगी यदि प्रदूषण पर शीघ्र नियंत्रण नहीं पाया गया तो स्थानीय नागरिकों में प्रसाशनिक बेरुखी के चलते अविश्वास की भावना तो बढ़ेगी ही साथ ही साथ सरकार तथा शहर की साख पर भी बट्टा लगेगा सबसे प्रदूषित शहर होने का – जो कम्पनियां यहां इन्वेस्टमेंट करने की योजना बना रही हैं या जो अपने बेहतर कल को बनाने के लिए यहां का रुख करने वाले हैं वह अपनी सोच बदल भी सकते हैं -उद्योगों को भारी नुकसान होगा , बेरोजगारी दर भी बढ़ जाएगी जो पहले से ही बहुत अधिक है और इसका सबसे अधिक असर बिल्डर्स पर पड़ेगा ।
बकौल तरविंदर सैनी ( माईकल ) प्रदूषित वातावरण को साफ करने के लिए पर्यावरणविदों से रायशुमारी की जा सकती है उनकी क्या राय निकलकर आती है उनपर अमल किया जा सकता है , लोगों से खुले तौर पर सुझाव मांगे जा सकते हैं जिससे कारगर योजना बनाने में सहायता मिलेगी !
आने वाले दिनों में यह कोहरा जब और नीचे आएगा तो जो स्मॉग ,प्रदूषण है वह और अधिक कोहराम मचाएगा बेहतर यह होगा कि समय रहते स्तिथियों को नियंत्रित कर लिया जाए !

कंट्रक्शन साइट्स पर माल ढुलाई के लिए वाहनों की आवाजाही के लिए रोड़ी तारकोल बिछाया जाना चाहिए जिससे कच्चे रास्तों से उड़ने वाली धूल कम हो जाएगी , सड़कों किनारे मिट्टी के ढेर लगे पड़े हैं उन्हें उठाने के आदेश कचरा प्रबंधन में लगी एजेंसियों को दिए जाएं – सफाईकर्मी दिन के स्थान पर रात या अलसुबह सफाई करें , जाम के कारण वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सड़क पर होते अतिक्रमणों को दूर किया जाए और ओड-इवन के विकल्प पर भी निर्णय लिया जा सकता है , और एक सुझाव है कि शहरभर में सरकारी गैरसरकारी ऊंची इमारतों की छतों पर बालकनियों में बड़े कूलर पानी डालकर चलाने से भी प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में सहायता मिलेगी , कूलर सभी टेंट हाउस से लीज पर मंगाए जा सकते हैं अभी वैसे भी उपयोग में तो हैं नहीं वह – नागरिकों से भी यही अपील की वह स्वम् भी अपने घरों की छतों पर एक कूलर अवश्य चलाएं आस पास के पेड़ पौधों को पानी के छिड़काव से साफ रखें !

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