भिवानी/शशी कौशिक डेंगू की महामारी ने भिवानी शहर को अपनी जकड़ में लिया हुआ है। हालातों का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि शहर के निजि अस्पतालों में डेंगू के मरीजों को दाखिल करने को बैड नहीं है। परन्तु जिले का स्वास्थ्य विभाग का प्रशासन चुपी साधे हुए है। बताया गया है कि सरकारी अस्पताल में डेंगू को मरीजों को सिफारिश से दाखिल किया जाता है। जिले का स्वास्थ्य विभाग डेंगू के मरीजों के आंकड़ ही जारी नहीं कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग केवल कोरोना के मरीजों के आधे अधुरे आंकड़े जारी कर अपने कर्तव्य को पूरा मान लेता है। स्वास्थ्य विभाग जारी प्रैस विज्ञप्ति में सुबह के कोरोना संक्रमितों के आंकड़ जारी किए जा रहे है। शाम को जो रिपोर्ट आती है, उससे मीडिया को अपडेट नहीं किया जाता। आंकड़ों के खेल से स्वास्थ्य विभाग लोगों को धोखा दे रहा है। यह भी पता चला है कि डेंगू के बढ़ते आंकड़ों के कारण स्वास्थ्य विभाग मीडिया को आंकड़े ही उपलब्ध नहीं करवा रहा है। जबकि भिवानी में डेंगू से लगातार मौते हो रही है। आज बुधवार को भी एक 42 साल की महिला की डेंगू से मौत हुई है। दो छोटे बच्चों की मां इस महिला के परिवार को उसको डेंगू होने का पता चला तो उन्होने उसे शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया। परन्तु महिला की तबीयत निरन्ंतर बिगड़ती ही चली गई। परन्तु डाक्टर परिवारवालों को अश्वासन देता रहा और अंत में इस डाक्टर ने जबाब दे दिया। परिजन उसे हिसार के अस्पताल में ले गए। लेकिन उसे बचाया नहीं जा सकता। मृतिका के परिजन अब भिवानी के निजि अस्पताल के डाक्टर को मौत के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लेकिन इस पर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग केवल चुपी साधे रहेंगे, जैसा कि पहले से होता रहा है। इधर सभ्य समाज के अध्यक्ष धर्मेंन्द्र जांगिड़ा ने सरकार से अपील की है कि वो तेजी से फैल रहे डेंगू को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम उठाएं। Post navigation महिला पीटीआईज ने धरने पर ही रचाई मेहंदी, पतियों के लम्बे जीवन की कामना की लोहारू रोड फाटक पर प्रस्तावित उपरगामी पुल पर पुनर्विचार करने को दुकानदारों ने रेल और सडक़ परिवहन मंत्री को लिखा पत्र