पटौदी एसडीएम की नाक के नीचे चल रहा है खुला खेल.
वाहन पार्किंग का नहीं है कोई भी रेट यहां पर  फिक्स.
वाहन पार्किंग के लिए मौखिक रूप से तय किए गए रेट

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   सूबे में बीजेपी सरकार नंबर वन और इसके बाद सूबे में बीजेपी तथा जेजेपी गठबंधन की बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार टू।  दोनों ही सरकार के मुखिया सीएम मनोहर लाल खट्टर पहले दिन से भ्रष्टाचार मुक्त शासन-प्रशासन और जीरो टॉलरेंस पर जोर देते हुए काम करने का दावा करते आ रहे हैं । लेकिन आरटीआई एक ऐसा माध्यम है , जिसके द्वारा एक के बाद एक ऐसे भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं ।

जिन को देखने और सुनने के बाद यही कहना अधिक उचित होगा की … भ्रष्टाचार तो है लेकिन इस भ्रष्टाचार में भी पूरा शिष्टाचार है । सीधी बात करते हैं पटौदी के लघु सचिवालय की । यहां प्रतिवर्ष वाहन पार्किंग के लिए ठेके की बोली लगाई जाती है और हैरानी की बात यह है कि वाहन पार्किंग के लिए जो रेट फिक्स किए जाते हैं , वह बोली दाता और बोली लगाने वाले के बीच में लिखित में तय होते हैं या फिर बोली लगाने के समय ही वाहन पार्किंग के कम से कम रेट सरकारी स्तर पर तय किए जाते हैं । इसके बाद ही नफा-नुकसान देखकर बोली लगाने वाला बोली लगाता है ।

लेकिन पटौदी में तो लगता है पूरी तरह से रामराज्य है और भ्रष्टाचार भी ऐसा जिसमें शिष्टाचार के मामले में कोई उंगली नहीं उठा सकता । यह सब खेल हो रहा है पटौदी के एसडीएम की नाक के नीचे । क्योंकि लघु सचिवालय में विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के वाहनों की पार्किंग के तो पैसे लगते नहीं और ना ही साहब की गाड़ी के पार्किंग के पैसे देने होते हैं । वाहन पार्किंग के पैसे तो निकलते हैं केवल यहां आने वाले आम आदमी की जेब से । तो ऐसे में एसडीएम साहब को क्या फर्क पड़ता है कि किसकी जेब से इस वाहन का कितना पैसा वसूल किया जा रहा है ? यह सीधे-सीधे पटौदी के एसडीएम की नाक के नीचे बेखौफ सरेआम हो रहे भ्रष्टाचार का मामला होने से कतई भी इनकार नहीं किया जा सकता ।

पटौदी के ही उपमंडल अधिकारी नागरिक कार्यालय के हवाले से जो जानकारी दी गई है वह बेहद चैंकाने वाली है कि मौजूदा समय में वाहन पार्किंग के रेट वाहन पार्किंग स्टैंड की नीलामी लगाए जाते समय ही मौखिक तौर पर तय किए गए । तो अब इस बात की कौन अधिकारी अथवा सरकार या किस रिकॉर्ड में पुष्टि होगी कि किस वाहन के कितने पैसे कितनी देर के लिए अथवा रेट फिक्स किए गए हैं । यहां ठेका इंद्रपाल द्वारा लिया हुआ है । वाहन पार्किंग के लिए, 6 दावेदार , ठेका लेने के लिए सामने आए और जमानत राशि भी जमा करवाई गई थी । लेकिन जहां तक किस वाहन के कितने समय के लिए कितने पैसे बतौर पार्किंग वसूल किए जाने हैं , इसकी किसी भी प्रकार की लिखा पढ़ी की जरूरत ही नहीं समझी गई ।

संभवत यह अपने आप में अकेला और अनोखा सरकारी ठेके का मामला है । जिसमें कि किसी भी प्रकार का न्यूनतम रेट अथवा अधिकतम रेट बोली लगाने के समय संबंधित अधिकारी- विभाग के द्वारा तय नहीं किया गया । अब यह ठेका लेने वाले की इच्छा पर निर्भर है कि वह लघु सचिवालय परिसर में आने वाले लोगों से किस वाहन के कितनी देर तक के लिए कितने पैसे वसूल रहा है । सूत्रों के मुताबिक लघु सचिवालय परिसर में वाहन पार्किंग के बदले में संबंधित ठेकेदार के द्वारा तो न तो रसीद भी नहीं दी जा रही, जिससे यह बात साफ हो सके कि किस वाहन के कितने पैसे वसूल किए जा रहे हैं । संभवत यही एक अन्य कारण और भी है कि लघु सचिवालय के बाहर सड़क किनारे ही लघु सचिवालय में कामकाज के लिए आने वाले लोग वाहन पार्किंग के मनमाने रेट को देखते हुए अपने वाहन खड़ा करने के लिए मजबूर हो रहे हैं । इस पूरे खेल का एक और रोचक पहलू यह है कि यदि पटौदी लघु सचिवालय पार्किंग परिसर से किसी का भी कोई भी वाहन चोरी हो जाए या गायब हो जाए तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ? कम से कम पटौदी के एसडीएम साहब तो इस मामले में अपना पल्ला पूरी तरह से झाड़ कर दिखा ही देंगे। 

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