दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने के नाम पर भाजपा सरकार ने कानून के द्वारा पराली जलाने वाले किसानों पर एक करोड़ रूपये तक का जुर्माना या तीन साल की तक की जेल का प्रावधान करके किसानों का दमन करने एक और कानूनी रास्ता बनाया है।

3 नवम्बर 2020 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि मोदी-भाजपा-संघी सरकार किसानों का दमन करने व उस पर आर्थिक चोट मारने का कोई मौका नही चूकती है। विद्रोही ने कहा कि तीन किसान बिलों के माध्यम से चंद पंूजीपतियों व जमाखोर अनाज, सब्जी, खाद्य पदार्थ व्यापारियों को लाभ पहुंचाने व किसान फसले व जमीन लूटने का कानूनी सुनियोजित षडयंत्र करने के बाद अब पराली जलाने के नाम पर मोदी सरकार ने किसानों पर भारी चोट की है। दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने के नाम पर भाजपा सरकार ने कानून के द्वारा पराली जलाने वाले किसानों पर एक करोड़ रूपये तक का जुर्माना या तीन साल की तक की जेल का प्रावधान करके किसानों का दमन करने एक और कानूनी रास्ता बनाया है। सवाल उठता है कि दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र के प्रदूषण के लिए क्या किसान व पराली जलाना ही एकमात्र कारण है? 

विद्रोही ने कहा कि जो उद्योग व थर्मल प्लांट वर्षो से प्रदूषण फैला रहे है, उस प्रदूषण पर रोक लगाने मोदी सरकार ने उद्योगपतियों व राज्य सरकारों पर ऐसा भारी भरकम जुर्माना व जेल सजा का प्रावधान क्यों नही किया? प्रदूषण की सारी गाज किसान पर ही क्यों? वहीं लाख टके का सवाल यह भी है कि किसान पराली जलाये नही अपितु पराली का उचित प्रबंधन करे, इसके लिए केन्द्र सरकार व सरकारी एजेंसिया ईमानदार व कारगर प्रबंध क्यों नही करती? किसान धान फसल काटने के एक सप्ताह के अंदर-अंदर अपने खेत से पराली का विस्तारण कर सके, इसका उचित प्रबंध सरकार क्यों नही करती? विद्रोही ने कहा कि दिल्ली व एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के लिए सरकार का केवल किसान व पराली को जवाबदेह ठहराकर अन्य कारणों की उपेक्षा करना सच से भागकर अपनी जवाबदेही से बचना नही तो क्या है?

इसी तरह सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को अप्रभावी करके किसानों को उनकी जमीन का समुचित मुआवजा अधिग्रहण करने पर मिले, यह पहले ही अवरूद्ध कर दिया था। किसान, मजदूर व मेहनतकश तबके को मोदी-भाजपा सरकार का पंूजीपति हितैषी व किसान-मजदूर विरोधी चेहरा पहचानना होगा ताकि वे इनके झांसे में आकर गुमराह होकर संघीयों के साथ खड़े होकर खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी न मारे। 

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