2 नवम्बर 2020. – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि वे पहले ही दिन से कहते आ रहे है कि भाजपा सरकार की मंशा मनेठी में एम्स बनाने की बजाय इस मुद्दे को लटकाकर दक्षिणी हरियाणा के लोगों का भावनात्मक रूप से शोषण करके राजनीतिक लाभ लेने में ज्यादा है।

विद्रोही ने कहा कि उन्हे आशंका है कि 2024 के लोकसभा व विधानसभा चुनावों में दक्षिणी हरियाणा के लोगों की वोट हडपने खातिर भाजपा खट्टर सरकार एम्स मुद्दे को किसी न किसी बहाने लटकाकर रखना चाहती है। यह सवाल मैं पहले ही दिन से उठा रहा हूं कि हरियाणा भाजपा सरकार एम्स के लिए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत जमीन अधिग्रहण करने की बजाय पोर्टल-पोर्टल का खेल क्यों खेल रही है? वहीं जब सरकार किसानों द्वारा पोर्टल पर दी जाने वाली जमीन का मुआवजा 29 लाख रूपये प्रति एकड़ से ज्यादा देने को तैयार नही है व किसान 50 लाख रूपये प्रति एकड़ से कम मुआवजा लेने को तैयार नही है तो यह मुद्दा सुलझेगा कैसे?

विद्रोही ने कहा कि सरकार एक सुनियोजित रणनीति के तहत बड़ी चालाकी से इस मुद्दे को जितनी देर लटकाया जा सके, उतना लटकाये रखना चाहती है। वहीं यहां के सांसद एवं केन्द्रीय राज्यमंत्री की भाजपा में राजनीतिक हैसियत मात्र एक अतिथि कलाकर की है क्योंकि भाजपा जानती है कि कुर्सी प्रिय यहां के सांसद एम्स बनवाने के लिए कोई कठोर निर्णय लेेने से रहे। वे तो लोकसभा चुनाव तक किसी भी तरह कुर्सी से चिपका रहना चाहते है। ऐसी स्थिति में विद्रोही ने कहा कि दक्षिणी हरियाणा के लोगों को ही ढुलमुल रवैया छोड़कर मनेठी-माजरा-भालखी में एम्स निर्माण करवाने के लिए अब सरकार से गुहार करने की बजाय आरपार की लड़ाई के लिए तैयार होना होगा।

भाजपा प्रार्थना नही ताकत की भाषा समझती है और लतियाये बिना संघी दूध देने को बाध्य नही होंगे।वहीं विद्रोही ने कहा कि विगत एक माह से रेवाड़ी जिले में लगभग 19 हजार किसानों का बाजरा एमएसपी पर खरीदा गया है जबकि 48627 किसानों ने बाजरा बेचने के लिए सरकारी पोर्टल पर रजिस्टेऊशन करवा रखा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद 15 नवम्बर को बंद हो जायेगी, ऐसी स्थिति में क्या सरकार 10-12 दिनों में बचे हुए 28-29 हजार किसानों का बाजरा एमएसपी पर खरीद पायेगी? यहीं स्थिति पूरे हरियाणा की है। विद्रोही ने कहा कि भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री खट्टर किसान फसल का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदने का बेसुरा राग अलापकर मीडिया में बयान दागकर किसानों को ठग रहे है, पर वास्तव में ईमानदारी से किसान फसलों को एमएसपी पर नही खरीद रहे है। 

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