हाई कोर्ट ने दिया मौलिक शिक्षा निदेशक को आदेश, नियम 134ए के तहत नौंवी कक्षा की छात्रा की सुनिश्चित कराएं पढ़ाई -न्यायालय के आदेशों की अवमानना को लेकर छात्रा का अभिभावक गया था हाई कोर्ट -कुसुंभी मोड स्थित लिटिल हार्ट पब्लिक स्कूल ने नियम 134ए में दाखिल छात्रा से मांगी थी फीस व अन्य फंड -10 नवंबर को होगी कोर्ट में सुनवाई, इससे पहले निदेशक को देनी होगी हाई कोर्ट में अपनी रिपोर्ट भिवानी, 27 अक्तूबर। कुसुंभी मोड़ स्थित एक निजी स्कूल में नौंवी कक्षा की छात्रा को नियम 134ए के तहत ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कराए जाने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए मौलिक शिक्षा निदेशक को छात्रा की नियम 134ए के तहत पढ़ाई सुनिश्चित कराए जाने के आदेश दिए हैं। दरअसल शहर के पड़ाव मोहल्ला निवासी विजय कुमार ने अपनी बेटी की नौंवी कक्षा में कुसुंभी मोड़ स्थित लिटल हार्ट पब्लिक स्कूल द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कराए जाने की 10 जून को शिकायत सीएम विंडों व शिक्षा विभाग को दी थी। इसके बाद 25 जून को विजय कुमार ने अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में निजी स्कूल के खिलाफ बेटी की पढ़ाई नहीं कराए जाने पर केस दायर किया था। उच्च न्यायालय ने उसी दिन मामले की सुनवाई करते हुए पहले ही दिन निजी स्कूल को छात्रा की पढ़ाई व अन्य सुविधाएं जारी रखने के आदेश दिए थे। लेकिन इसके बावजूद भी निजी स्कूल ने छात्रा की लॉकडाउन के दौरान आनलाइन पढ़ाई नहीं कराई और स्कूल व्हाटसअप ग्रूप से भी छात्रा को रिमूव कर दिया गया। न्यायालय के आदेशों की पालना कराए जाने के संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह श्योराण को भी शिकायत दी। मगर डीईओ ने भी इस मामले में छात्रा को न्याय दिलाने के लिए कोई सकारात्मक भूमिका नहीं निभाई। इसी मामले में 30 जुलाई को छात्रा के अभिभावक विजय कुमार ने अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से न्यायालय के आदेशों की अवमानना का मामला फिर से हाई कोर्ट में रखा। इन दोनों ही मामलों में हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मौलिक शिक्षा निदेशक को 2 नवंबर सुबह साढ़े 10 बजे दोनों पक्षों को बुलाकर छात्रा की पढ़ाई सुनिश्चित कराए जाने के आदेश दिए वहीं निदेशक द्वारा तैयार रिपोर्ट भी 10 नवंबर की सुनवाई को न्यायालय में तलब की है। निजी स्कूल के साथ डीईओ ने मिलीभगत कर दी हाईकोर्ट में गलत जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि अभिभावक विजय कुमार की बेटी का नियम 134ए के तहत 2015 में चौथी कक्षा में दाखिला हुआ था। लेकिन छात्रा को नौंवी में कोविड-19 के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कराए जाने पर हाई कोर्ट का रुख किया था। हाई कोर्ट में निजी स्कूल के साथ मिलीभगत कर जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह श्योराण ने गलत तथ्य एवं जानकारी दी। निजी स्कूल और डीईओ दोनों ने गलत तथ्यों के आधार पर हाई कोर्ट को भी गुमराह किए जाने का पूरा प्रयास किया। इस मामले के आरटीआई में काफी तथ्य अभिभावक द्वारा पहले ही जुटाए जा चुके थे। अब न्यायालय को गुमराज किए जाने के मामले में भी डीईओ व निजी स्कूल संचालक के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कराए जाने के संबंध में संगठन द्वारा कदम उठाया जाएगा। Post navigation अंहकार में डूबी गठबंधन सरकार किसानों को बर्बाद करने में लगी है- किरण चौधरी झूठी दरखास्त दर्ज करने व मारपीट करने पर एसपी को दी शिकायत