मामला पटौदी के नए मॉडल संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल का.
एक तरफ तो किसान सड़कों पर और यहां दाल से सजावट

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   बड़ी हैरानी हुई और जो कुछ देखा सोचने को मजबूर तो किया । आज के हालात में झंझकौर  भी दिया । यह मामला है पटौदी ब्लॉक के नव उद्घाटित गवर्नमेंट मॉडल संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल परिसर का । यहां पर मुख्य अतिथि से लेकर आमंत्रित अन्य अतिथियों के स्वागत और अभिनंदन के लिए शिक्षा विभाग के तत्वाधान में आयोजित इस समारोह के मौके पर चावल से वेलकम लिखा गया और विभिन्न प्रकार की दालों से फूलों के आकृति की विशाल रंगोली बनाई गई ।

यह सब पहली बार देखा गया, कि रंगों को दरकिनार कर अतिथियों के अभिनंदन में सजावट के लिए चावल और विभिन्न प्रकार की दालों की रंगोली बनाई गई । अब यह अपने आप में बेहद गंभीर, विचारणीय  और जांच का विषय भी है कि आखिर शिक्षा विभाग के किस नियमावली के तहत स्कूल परिसर में स्कूल के प्रवेश द्वार पर चावल से अंग्रेजी में वेलकम लिखने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की दालों से फूलों की आकृति में विशाल रंगोली बनाई गई ? बनाई भी गई तो इसके पीछे किसके आदेश थे, किस के निर्देश थे ?  या फिर यह सब एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता को खुश करने के लिए किया गया।

एक तरफ तो पूरा देश कोरोना महामारी के साथ-साथ कथित रूप से आज भी विशेषता गरीब वर्ग खाद्यान्न संकट से जूझ रहा है । ऐसे में चावल और विभिन्न प्रकार की दालों से किसी के भी स्वागत में रंगोली बनाना नैतिक दृष्टि से और सामाजिक नजरिए से कतई भी उचित नहीं ठहराया जा सकता । याद होगा सभी को कुछ दिन पहले तक समाज के ही सभी वर्गों के लोग मिलकर कोरोना कोविड-19 संकट में लॉकडाउन के दौरान गरीब और जरूरतमंद लोगों को खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध करवा रहे थे । हैरानी उस वक्त हुई जब समारोह समाप्त हुआ , मुख्य अतिथि सहित अन्य आमंत्रित प्रबुद्ध लोग स्कूल से रवाना हुए तो चावल और दाल जिन से रंगोली बनाने के साथ-साथ वेलकम लिखा गया था । उन्हें झाड़ू से एकत्रित किया गया । सबसे अहम सवाल यह है रंगोली बनाने में और वेलकम लिखने में चावल के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की जो दाले इस्तेमाल की गई , उनकी खरीद किसके कहने  पर और किस फंड से की गई  है ? भविष्य में पेट भरने वाले खाद्यान्न का इस प्रकार से मनमाना इस्तेमाल ना हो, शिक्षा विभाग के साथ-साथ जिला प्रशासन को भी गंभीरता से विचार करना होगा।