तीन को कोविड का रेपिड टेस्ट करने से किया गया इंकार.
बीजेपी कार्यकारिणी सदस्य तेजभान चैहान ने खोली पोल.
प्राइवेट अस्पताल में करवाना पड़ा अपना महंगा इलाज

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।  
 पटौदी विधानसभा क्षेत्र का इकलौता पटौदी नागरिक अस्पताल, विभिन्न कारणों को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है । सुर्खियां भी ऐसी कि सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं।

अब हाल ही में एक और ताजा मामला सामने आया है, इसमें भी सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के कार्यकारिणी सदस्य तेजभान सिंह चैहान के द्वारा ही पटौदी नागरिक अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ यहां के अधिकारियों सहित व्यवस्था की सार्वजनिक रूप से पोल खोल कर रख दी है । हद तो तब हो गई जब वह सार्वजनिक रूप से अस्पताल के मुख्य प्रवेश द्वार पर अपनी आपबीती चीख-चीख कर बता रहे थे, तो अस्पताल के स्टाफ ने हीं आ कर तेजभान सिंह चैहान के द्वारा कहीं जाए कहीं जा रही बातों को रिकॉर्ड करने से रोकने तक का भी प्रयास किया गया।

बीजेपी कार्यकारिणी सदस्य तेजभान सिंह चैहान के मुताबिक अक्टूबर माह के आरंभ में ही उन्हें मामूली सा बुखार हुआ था । कोरोना महामारी की आशंका को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 3 अक्टूबर को पटौदी के नागरिक अस्पताल में कोविड-19 जांच के लिए सैंपल देने व जांच के लिए पहुंचे। लेकिन हैरानी इस बात की है कि 24 अक्टूबर शनिवार तक भी 3 तारीख को दिए गए सैंपल की रिपोर्ट तेजभान सिंह चैहान को उपलब्ध नहीं करवाई गई । जबकि इस दौरान कुछ अधिक तबीयत खराब होने की वजह से तेजभान सिंह चैहान को मेदांता जैसे अस्पताल में अपना महंगा उपचार करवाने के लिए मजबूर होना पड़ गया । तेजभान सिंह चैहान के द्वारा लगाए गए सार्वजनिक आरोप में चीख-चीख कर बताया गया कि वह तो जैसे तैसे अपना उपचार करवाकर लौट आए। लेकिन जितने दिन में उनका कोविड-19 का उपचार हो गया , इतने दिन में तो पटौदी के सरकारी नागरिक अस्पताल के द्वारा उनके नेगेटिव अथवा पॉजिटिव होने की रिपोर्ट तक भी नहीं दी गई । उन्होंने कहा यदि 3 तारीख को टेस्ट के बाद समय रहते उन्हें रिपोर्ट उपलब्ध करवा दी जाती तो 3 सप्ताह तक उन्हें और उनके परिवार को जो परेशानी झेलनी पड़ी है , उससे बचा जा सकता था ।

तेजभान सिंह चैहान के मुताबिक 3 अक्टूबर को पटौदी नागरिक अस्पताल में सैंपल जांच के लिए देने के बाद जब रिपोर्ट नहीं मिली तो उन्होंने मानेसर स्थित रॉकलैंड अस्पताल में अपना कोविड-19 का टेस्ट करवाया । जहां से रिपोर्ट पॉजिटिव बताई गई , इसके बाद कोविड-19 से छुटकारा पाने और पूरी तरह स्वस्थ होने के लिए वह 12 दिन तक मेदांता अस्पताल में उपचाराधीन रहे । तेजभान सिंह चैहान के द्वारा जो सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए गए , वह निश्चित ही गंभीर, चैकानेवाले और जांच का विषय बने हुए हैं । 3 तारीख को जब वह है अपना कोविड-19 टेस्ट करवाने के लिए अस्पताल में पहुंचे तो रैपिड टेस्ट के लिए साफ इंकार कर दिया गया। तेजभान चैहान के मुताबिक जब उन्होंने रैपिड टेस्ट के लिए दबाव बनाया तो अस्पताल स्टाफ के द्वारा साफ इंकार कर दिया गया कि कथित रूप से एसएमओ के द्वारा रैपिड टेस्ट से इनकार किया गया है । इसकी बाबत उन्होंने अस्पताल से संबंधित स्टाफ से इस संदर्भ में लिखित में देने के लिए कहा तो साफ इंकार कर दिया गया । उन्होंने अपने रेपिड टेस्ट के लिए नियमानुसार फीस भुगमान तक की भी बात कही, लेकिन कोई फायदा नहीं मिल सका।

तेजभान सिंह चैहान के द्वारा जो खुलासा किया गया है वह बेहद ही चैंकाने वाला है । उन्होंने बताया कि पटोदी नागरिक अस्पताल में कोरोना कोविड-19 की सैंपल लेने और टेस्ट प्रक्रिया के बारे में बारीकी से जांच की गई। यह तथ्य निकलकर आया कि पटौदी नागरिक अस्पताल को कोविड-19 टेस्ट के लिए दो लाख किट से टेस्ट करने का टारगेट दिया गया है । यही कारण है कि कोविड-19 के रैपिड टेस्ट नहीं किए जा रहे । तेजभान सिंह ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए हैं कि कोविड-19 टेस्ट किट के द्वारा टेस्ट करने पर कथित रूप से 70 रूपए का कमीशन तय किया गया है । अब यह रकम किसको मिलती है, किस के खाते में जाती है, यह अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है ।

तेजभान सिंह चैहान के आरोप अनुसार पटौदी के नागरिक अस्पताल में कोविड-19 टेस्ट के लिए कथित रूप से दलाल  भी यहां पर सक्रिय हैं । पीड़ित अथवा संदिग्ध या फिर जरूरतमंद पर नजर पड़ते ही अपने जाल में हंसा लेते हैं । कोविड टेस्ट की 1 घंटे में रिपोर्ट उपलब्ध करवाने के बदले में इस प्रकार के दलालों के द्वारा 5 से 6 सौ रूपए तक वसूले जा रहे हैं । इस प्रकार के दलालों के शिकंजे में ऐसे बच्चे युवा और जरूरतमंद लोग जल्दी फस जाते हैं , जिन्हें की कोरोना काल के बाद अब अनलॉक के दौरान खासतौर से प्राइवेट कंपनियों अथवा संस्थानों में काम करना होता है या फिर नौकरी ज्वाइन करनी होती है।

तेजभान सिंह के आरोप अनुसार रैपिड टेस्ट के लिए पटौदी नागरिक अस्पताल की एसएमओ के रिकमेंडेशन के बिना यह टेस्ट करवाया जाना लोहे के चने चबाने के बराबर है । उन्होंने बताया कि पटौदी  नागरिक अस्पताल में चल रहे इस गोरखधंधे के बारे में पटौदी के विधायक एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता को भी अवगत करा दिया गया है । उन्होंने इस पूरे मामले को लेकर जिला प्रशासन ,गुरुग्राम के सीएमओ के साथ-साथ हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से भी अभिलंब जांच कराने की मांग की है। जिससे कि पटौदी जैसे देहात के गरीब लोगों को उनका आर्थिक शोषण होने से बचाया जा सके ।

error: Content is protected !!