लॉकडाउन में राशन बांटा नहीं और राशन खरीद भी डाला.
फिर कहते हैं हेली मंडी पालिका को कर रहे हैं बदनाम.
ऐसी भ्रष्ट ईमानदारी की नहीं मिलेगी कहीं और मिसाल

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   जब से हेलीमंडी नगर पालिका के चेयरमैन, एमई, सचिव व अन्य के खिलाफ कोर्ट के निर्देश पर भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज हुआ है। उसके बाद से एक के बाद एक हैरान करने वाले मामले सामने आ रहे हैं । इन दिनों कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान हेलीमंडी पालिका प्रशासन के द्वारा विभिन्न प्रकार की खरीद-फरोख्त के हैरान करने वाले मामले चर्चा का विषय बने हुए हैं । फिर कहते हैं कि हेली मंडी पालिका को बदनाम किया जा रहा है ।

मामला चाहे कैसा भी हो। जवाबदेही हेलीमंडी पालिका के चेयरमैन की ही सबसे पहले बनती है और बनेगी। वह इस जवाबदेही से बच भी नहीं सकते। क्योंकि जो भी अंतिम भुगतान किया जाता है उस भुगतान के चेक का पर पालिका सचिव और पालिका चेयरमैन के संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किए जाते हैं।

अब सीधी बात करते हैं करोना काल में लाॅक डाउन की। अब जो नया मामला सामने आया , आरटीआई के द्वारा मांगी गई सूचना में हेली मंडी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा पत्र क्रमांक एमसी एचएम 2020 2449 दिनांक 9 अक्टूबर 2020 को यह लिखित में बताया गया है कि लॉकडाउन के दौरान हेली मंडी नगर पालिका द्वारा बांटने के लिए राशन की खरीद नहीं की गई है । हेली मंडी नगर पालिका प्रशासन का यह कहना और दावा खरा और सच है । अब बात करते हैं खरीदे गए राशन की, हेली मंडी नगर पालिका सचिव के नाम से एक परचून का सामान विक्रेता फर्म के द्वारा 13 मई 2020 को 30 हजार के बने बिल और उसका भुगतान भी वसूल पाया गया है ।  इस बिल पर विधिवत रूप से हेली मंडी नगर पालिका  सचिव की स्टैंप सहित हस्ताक्षर और बिल को रिसीव करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर भी किए गए हैं।

लेकिन पूरे मामले में रहस्य और जांच का विषय यह है कि यह 30000 का भुगतान नगद किया गया या फिर चेक के द्वारा किया गया ? अब यहां बिल्कुल स्पष्ट कर देते हैं यह 30000 का बिल चंदन लाल मनोहर लाल हेली मंडी की फर्म का ही बना हुआ है । हेली मंडी नगर पालिका सचिव के नाम बने इस बिल में 7250 रुपए का रिफाइंड ऑयल, 12000 का आटा , 21 सौ की दाल, 1000 के पत्तल,  3000 की चना दाल , साडे  सात सौ की चाय व अन्य सामान भी हेली मंडी पालिका को बिक्री के लिए दर्ज है। 13 मई 2020 के बिल का टोटल रकम 29810 तथा इसमें पिछला बकाया 190 भी जोड़कर कुल टोटल 30000 दर्ज है ।

अब बात फिर वही घूम फिर के आ जाती है, फिर कहते हैं हेली मंडी नगर पालिका को बदनाम किया जा रहा है । एक तरफ तो हेलीमंडी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा लॉकडाउन के दौरान राशन की खरीद नहीं की गई । वहीं दूसरी तरफ 13 मई 2020 को बना बिल जो कि 30000 का है । वह कुछ और ही कहानी कह रहा है । अब इस बात पर कौन भरोसा करेगा और कौन भरोसा नहीं करेगा ? कि लाॅक डाउन में हेली मंडी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा राशन की खरीद नहीं की गई ?
वहीं दूसरी तरफ हेली मंडी पालिका सचिव के नाम 30000 का बिल अपनी कहानी स्वयं ही बयान कर रहा है ।  फिर कहते हैं कि हेली मंडी नगरपालिका को क्यों बदनाम किया जा रहा है । बहरहाल जब मामला सामने आ गया है तो अब हरियाणा सरकार के साथ-साथ गुरुग्राम नगर निगम आयुक्त, स्थानीय शहरी निकाय मंत्री अनिल विज को इस प्रकार के मामले में अविलंब संज्ञान लेकर कोरोना काल-लाॅक डाउन के दौरान हेलीमंडी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा विभिन्न प्रकार की खरीद-फरोख्त की उच्च स्तरीय जांच करवानी चाहिए । जिससे कि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके । यह जांच इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन और जीरो टॉलरेंस का दंभ भरते हुए आम जनमानस के बीच पारदर्शिता से काम कर रही है ।

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