एचएसवीपी की जमीन की एनओसी दिलाने के लिए दलाल सक्रीय

रमेश गोयत

चंडीगढ़/पंचकूला, 22 अक्तूबर। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) के भूमि अर्जन कार्यालय पंचकूला सैक्टर 8 में भूमि अधिग्रहण व फर्जी एनओसी के नाम पर करोड़ों रूपये के घोटाले उजागर हो रहे है। जिसमें भूमि अधिग्रहण अधिकारियों ने आखें बन्द करके सरकार के करोड़ों रूपये को गलत तरीके से बाटकर सरकार को करोड़ का चूना लगा चुके है। सरकारी पैसे को पानी की तरह बांटा गया। जिसको लेकर सरकार ने इस विभाग के कर्मचारियों की जांच के आदेश भी दे दिए है।

प्रदेश में एचएसवीपी विभाग में नए सैक्टर कटने का कार्य बन्द हो गया है। अब इस विभाग कर्मचारी मोटे पैसे लेकर सैक्टरो के साथ लगती एचएसवीपी की खाली जमीन की फर्जी एनओसी देकर एचएसवीपी की अरबो रूपए की जमीन को खूर्दबूर्द कर रहे है। जबकी उस जमीन का मालिक मुआवजा भी ले चुके है।

राजबीर सिंह पंचकूला निवासी ने सीएम विंडो में दी शिकायत में मुख्यमंत्री को बताया है कि पिंजौर में भी 14 नबम्बर 2017 को ऐसे ही जमीन रलीज करने के लिए एक फर्जी एनओसी जारी की गई। राजबीर ने बताया कि यदि सरकार सभी जिलो की जारी एनओसी की जांच करे तो करोड़ो का घोटाला उजागर होगा। जबकी उस समय के एलएओ का कहना है की उसके समय में कोई भी एनओसी जारी नही की है।

यह कार्यालय 11 मार्च 1980 को शहरो में सैक्टर काटने के लिए जमीन एक्वायर के लिए बना था। जिसमें जिला कैथल, करनाल, पंचकूला, यमुननगर, अम्बाला, कुरूक्षेत्र के 250 के करीब सैक्टरो की जमीन आती है। 1980 लेकर अब तक 80 के करीब एलएओ के तौर पर अधिकारी रह चुके है। पहले एचसीएस अधिकारी एओ लगते थे। अब डीआरओ रैक के अधिकारी एओ नियुक्त है। जिसमें एलएओ दिनेश यादव एचसीएस, एलएओ डीआर कैरो पूर्व एचसीएस, डीआरओ विनोद शर्मा, तहसीलदार हुडा धूम सिंह, तत्कालीन तहसीलदार ईश्वर बैरागी, कानूनगो कालका सिंघराम, नायब तहसीलदार सुरेंद्र पर विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था। ब्रहमदत नायब तहसीलदार का जेल में रहते ही निधन हो गया था। इस केस अभी ट्रायल जारी है। जिसमें पूर्व एचसीएस अधिकारी एलएओ डीआर कैरों कई दिन तक जेल में भी रह चुका है।

ईमानदार मुख्यमंत्री के विभाग में भष्ट्र अधिकारियों को बोल-बाला

ांचकूला सैक्टर 8 में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण में भूमि अधिग्रहण कार्यालय से जमीन कि एनओसी दिलाने के लिए दलालों की भीड़ रहती है। बिना दलालों के कोई एनओसी नही मिलती। एनओसी के रेट तक फिक्स है। एसओसी इसलिए कि जो जमीन एक्वायर से बची हुई है। उस जमीन पर कब्जा करने के लिए जी जाती है। हुडा के साथ लगती बची हुई जमीन करोड़ो रूपयें की है। इस कार्य में हुडा विभाग के पटवारी व तहसीलदार मुख्य रूप से है। यह कार्यालय छुटटी वाले दिन भी दलालों के लिए खुलता है। पैसे देकर काम करवाने वाले लोगों को छुटटी वाले दिन बुलाया जाता है। चार साल पहले भी सैक्टर 19 कैथल में भी एक पटवारी ने हुडा की बची हुई जमीन की एनओसी देकर काफी विवाद करवाया था। बाद में यह मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी आया था। उस जमीन पर बन रहे अवैध निर्माण को गिराना पड़ा था।

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