उमेश जोशी

नारनौंद से जेजेपी के विधायक रामकुमार गौतम बीजेपी उम्मीदवार योगेश्वर दत्त के लिए वोट मांगने बरोदा हलके में गए। वहाँ  पत्रकारों से रूबरू हुए और किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पाए। बस! तोते की तरह रटे हुए कुछ वाक्य बोल रहे थे। 

दादा के नाम से लोकप्रिय रामकुमार गौतम ने कहा कि मेरा सरकार और बीजेपी से कोई मतलब नहीं है। मैं तो एक अच्छे उम्मीदवार के लिए वोट मांगने आया हूँ। जात पांत के आधार पर वोट नहीं डालना चाहिए। जात पांत की भावना बहुत खतरनाक है। भले ही हुड्डा के समर्थक हों या खट्टर से घृणा करने वाले हों, सभी को मिलकर योगेश्वर दत्त को जिताना चाहिए। योगेश्वर दत्त का कारनामा देखकर वोट देना चाहिए। 

दादा गौतम ऐसे अपील कर रहे थे मानो हरियाणा के इतिहास में पहली बार कोई अच्छा उम्मीदवार खड़ा हुआ है। इससे पहले योगेश्वर जैसे अच्छे उम्मीदवार कभी खड़े ही नहीं हुए। यदि खड़े हुए तो दादा गौतम कितने उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने गए थे।  दादा गौतम जात पांत से ऊपर उठ कर वोट डालने की बात तो करते हैं लेकिन उन पर जब यह आरोप लगेगा कि ब्राह्मण होकर एक ब्राह्मण के लिए वोट मांगने गए थे तो क्या उनके पास कोई जवाब होगा।  

दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला अभी तक बरोदा हलके में झांके भी नहीं हैं। क्या दादा गौतम अपनी पार्टी के लोगों को नहीं समझ सकते कि योगेश्वर अच्छा उम्मीदवार है, वहां जाकर प्रचार करो; उसे जिताओ। अपनी ही पार्टी के नेताओं को नसीहत देने में दादा गौतम की ज़ुबान पर ब्रेक क्यों लग गया। एक पत्रकार ने यह सवाल पूछा भी था। चूंकि उनके पास कोई जवाब नहीं था इसलिए टरकाऊ अंदाज़ में कह दिया कि यह सवाल उनसे ही पूछो। दादा गौतम! आप साधारण व्यक्ति नहीं हैं। जेजेपी के विधायक हैं और जेजेपी या उनके नेताओं से जुड़ा सवाल टाल नहीं सकते।  

विकास के नाम पर वोट क्यों नहीं मांगे जा रहे हैं? इस सवाल के जवाब में बहुत बेढंगा जवाब दिया- विकास की बात खट्टर और हुड्डा से करो। एक सरकार चला रहे हैं और एक सरकार चला चुके हैं। मैं सरकार में नहीं हूं। कोई इन बुजुर्ग नेता से पूछे कि जेजेपी सरकार में है और आप जेजेपी के विधायक हैं तो कौन-सा तकनीकी कारण है जिससे आप सरकार से बाहर हो गए। दादा! आप इतने ही निरीह और निष्प्रभावी हैं तो अपना पद छोड़ क्यों नहीं देते। इस पर गौतम जी यह कह कर बचाव करेंगे कि मुझे किसी नेता ने नहीं, जनता ने जिताया है, मैं क्यों इस्तीफा दूँ। इस पर फिर एक सवाल है। दादा! जिस विधायकी से सम्मान पा रहे हैं उस पर जेजेपी का टैग लगा हुआ है, वही जेजेपी इससे आप हमेशा किनारा करते हैं।

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