-कमलेश भारतीय हरियाणा के बरोदा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के असामयिक निधन से उपचुनाव की नौबत आ गयी । माना जाता है कि यह कांग्रेस समर्थित सीट है और इस पर हुड्डा पिता पुत्र का काफी प्रभाव है । इसके बावजूद यह चुनाव नयी परिस्थियों में होने जा रहा है । भाजपा जजपा की सरकार है और सरकार पूरा ज़ोर इस सीट को जीतने पर लगाने जा रही है । भाजपा जजपा गठबंधन ने आम चुनाव में जो प्रत्याशी था यानी पहलवान योगेश्वर दत्त शर्मा पर ही दांव खेला है । वे पहले ही गांव गांव के चक्कर लगाने लगे थे । कांग्रेस ने श्रीकृष्ण हुड्डा के परिवार से किसी को टिकट न देकर बिल्कुल नये चेहरे इंदुराज पर दांव खेला है । इससे इंदुराज को यह फायदा है कि अभी उनके बारे में कोई पूर्व धारणा जनता के बीच नहीं है । दूसरे पूर्व विधायकों श्यामलाल राणा और परमवीर ढुल्ल ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है किसान विरोधी कानूनों की दुहाई देते हुए । इससे कांग्रेस को निश्चय ही बल मिला । इनेलो के विधायक और प्रधान सचिव अभय चौटाला काफी समय पहले ही बरोदा उपचुनाव की रणनीति बनाने में लग गये थे । गांवों में प्रत्याशी जोगेंद्र मलिक के पक्ष में प्रचार करते एक हास्यास्पद बयान दे दिया कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने बेटे दीटहपेंद्र हुड्डा को राज्यसभा में पहुंचाने के लिए अपना कर्ज उतार सकते हैं यानी भाजपा की मदद कर सकते हैं । क्या भूपेंद्र हुड्डा जैसा कद्दावर नेता ऐसा आत्मघाती कदम उठा सकता है ? कभी नहीं । इस परिवार के लिए तो यह उपचुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न है । फिर भाजपा को मदद के बारे में सोच भी कैसे सकते हैं ? हां , कहीं आप चुनाव के आखिरी दौर में कोई ऐसा गुप्त समझौता न कर लें । आपकी नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भाजपा के लिए ज्यादा सुखद रही थी । जजपा को सिर्फ गठबंधन के तौर पर साथ निभाना है । आप या स्वराज इंडिया जैसे नये राजनीतिक दलों ने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा । दोनों के नेता भूल रूप से हरियाणा से ही हैं और कुछ प्रभाव तो रखते होंगे । किस तरफ इशारा करेंगे अपने समर्थकों को ? बरोदा उपचुनाव भाजपा गठबंधन की लोकप्रियता की भी परीक्षा होगी और नये कृषि कानूनों की आम राय भी सामने आ जायेगी । वैसे इस एक जीत हार से शायद न पक्ष और न विपक्ष पर कोई असर पड़े लेकिन ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा से मोहभंग हो रहा है । सचमुच या सिर्फ कल्पना ? यह बरोदा उप चुनाव परिणाम बतायेगा । Post navigation हिसार एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम का उद्घाटन भी करवाया जाये – भूख से मर रहें है दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए जिम्मेवार कौन ?