अनोखे घोटाले की जांच… क्या आज रोड रोलर और जेसीबी की तलाश पूरी हो सकेगी !

मोटरसाइकिल से सड़क बनाने वह जमीन लेवल करने का कारनामा.
एक बार फिर शुक्रवार को की जानी है अनोखे मामले की जांच.
बीती 13 सितंबर को दी थी शिकायत डिप्टी सीएम दुष्यंत को

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   करीब-करीब 40 दिन होने को आ रहे हैं , लेकिन उस करामाती  मोटरसाइकिल के साथ-साथ जेसीबी और रोड रोलर की तलाश पूरी नहीं हो पा रही है ? करामाती मोटरसाइकिल से पटौदी के ग्रामीण इलाके में सड़क बनाने सहित मिट्टी की खुदाई करने से लेकर जमीन के लेवल करने तक का कारनामा अंजाम दिया गया । इस बेहद रोचक और चुनौतीपूर्ण कारनामे की जांच पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार के द्वारा की जा रही है ।

गौरतलब है कि बीते माह 13 सितंबर को पटौदी क्षेत्र के सबसे बड़े गांव बोहड़ाकला में डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला को पंचायत समिति के ही सदस्य नरेश कुमार के द्वारा यह अनोखे कारनामें की शिकायत उस समय दी गई थी,  जब दुष्यंत चैटाला अपने राजनीतिक सचिव महेश चैहान के यहां पहुंचे थे । मामले की गंभीरता को देखते हुए डिप्टी सीएम चैटाला ने कथित रूप से इस मामले की जांच 15 दिन में करके रिपोर्ट तलब की थी । इस बीच जांच अधिकारी पटौदी के एसडीएम के द्वारा अभी तक तीन बार संबंधित घोटाले के दस्तावेजों सहित काम किए गए स्थानों का दौरा दौरा सहित मुआयना भी किया जा चुका है। करीब 1 सप्ताह पहले ही जांच अधिकारी पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार एक सरकारी स्कूल में भी पहुंचे और मौका मुआयना किया । कथित रूप से स्कूल स्टाफ से जांच के संदर्भ में कुछ दस्तावेजों पर लिखित में पुष्टि भी करवानी चाही, लेकिन स्कूल स्टाफ के द्वारा असमर्थता जाहिर की गई ।

सूत्रों के मुताबिक अब इस मामले की एक बार फिर से जांच शुक्रवार को की जानी है । अभी तक उन रोड रोलर और जेसीबी सहित अन्य वाहनों की तलाश पूरी नहीं हो सकी , जिनके नंबर खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय के द्वारा किए गए भुगतान के दस्तावेजों में लिखे गए हैं । कथित रूप से इससे पहले की जांच में विभाग के द्वारा इसे कलेरिकल मिस्टेक बताया गया। लेकिन यह बात हजम होने वाली नहीं, क्यों कि एक नहीं कई स्थानों पर जेसीबी और रोड रोलर के जो नंबर लिखे गए हैं । वह वास्तव में एक मोटरसाइकिल के नंबर हैं । इन सब बातों की जानकारी आरटीआई के द्वारा मांगी गई सूचना में उपलब्ध कराए गए सत्यापित दस्तावेजों में दर्ज है ।

अब कहने वाले तो यहां तक कहने लगे हैं कि जिस जांच में 40 दिन का समय लग गया, वह जांच 15-20 मिनट में ही पूरी हो सकती है । जांच अधिकारी काम में इस्तेमाल किए गए और भुगतान प्राप्तकर्ता को तलब कर संबंधित नंबर के रोड रोलर और जेसीबी को ही प्रत्यक्ष रूप से अपने सामने लाने के निर्देश दें । तो बिना किसी देरी के दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा । लेकिन ऐसा भी संभव दिखाई नहीं दे रहा है, क्योंकि रोड रोलर और जेसीबी मालिक का नाम तो लिखा है , लेकिन भुगतान के दस्तावेजों में जेसीबी और रोड रोलर मालिक का मोबाइल नंबर ही नहीं है । तो अब ऐसे में सवाल यह है की इन भारी-भरकम वाहनों के मालिक को किस प्रकार पहचान कर तलब किया जाए ? अब नजरें केवल और केवल जांच के साथ-साथ जांच अधिकारी के द्वारा की जाने वाली जांच पर ही टिकी हुई है। कि क्या भ्रष्टाचार मुक्त और जीरो टाॅलरेंस सहित पारदर्शिता से काम करने वाली सरकार के जांच अधिकारी डिप्टी सीएम दुष्यंत को कब तक मोटर साइकिल बनाम रोड रोलर और जेसीबी की पहचान कर, जांच को पूरा कर आगामर कार्रवाही के लिए भेज सकेगंे।

You May Have Missed

error: Content is protected !!