मीडिया ट्राॅयल : सही या गलत ?

-कमलेश भारतीय

सुशांत सिंह राजपूत के केस से जिस तरह मीडिया ने व्यवहार किया या पेश किया टीवी चैनलों पर उससे यह सवाल उठ खड़ा हुआ कि मीडिया ट्राॅयल कितने सही और कितने गलत ? सुशांत ही क्यों ? इससे पहले आरूषि तलवार , जेसिका लाल मर्डर केस , निर्भया कांड और ऐसे अन्य भयावह कांडों में मीडिया ट्राॅयल से क्या हुआ ? इन सबको युवा पीढ़ी, खासतौर पर वह युवा पीढ़ी जिसे पत्रकारिता में अपना करियर चुनना है , कैसे रिएक्ट करती है ?

यह सब सामने आया डी ए वी शिक्षण संस्थान द्वारा एक भाषण प्रतियोगिता में सामने आया । इसका आयोजन डी ए वी काॅलेज चंडीगढ़ व डीएन काॅलेज , हिसार ने अलग अलग स्तर पर किया और इसमें वैली ऑफ वर्ल्ड्स लिटरेचर सोसायटी , देहरादून के साथ साथ हरियाणा उच्चतर शिक्षा विभाग भी शामिल रहे । यह एक ऐसा आयोजन था जिसमें लगभग तीस डी ए वी काॅलेजिज के पचास छात्र-छात्राओं ने बड़े उत्साहपूर्वक दोनों में भाग लिया जो सुनते ही बनता था ।

सुनते ही इसलिए कि संयोग से मुझे इसके तीन निर्णायकों में सम्मानपूर्वक स्थान दिया गया था । शेष दो निर्णायक रहे -गुजवि के जनसंचार विभाग के प्रोफेसर डाॅ मिहिर रंजन पात्र व हकृवि की प्रो अपर्णा रायजादा । हैरानी हो रही थी छात्र वर्ग यानी युवा पीढ़ी के विचार मीडिया के बारे में सुनते हुए । युवा पीढ़ी से कोई महत्तवपूर्ण कांड छुपा और छूटा नहीं था । क्या हाल ही में यूपी का विकास दूबे या हाथरस कांड या फिर आईपीएस संतोष कुमार के बेटे का कांड या फिर नितीश कटारा कांड । मुझे बहुत खुशी हो रही थी कि आखिर युवा पीढ़ी मीडिया से दिग्भ्रमित नहीं हो रही जैसा कि इन चैनल्ज की कवरेज का डर है । फिर भी मीडिया अपने टीआरपी के खेल में उलझा मामलों को कैसे गलत ढंग से पेश कर रहा है । यह जानते हुए कि लोकतंत्र को कितना नुकसान पहुंचा रहा है ।

लोकतंत्र को स्वस्थ मीडिया दिशा दिखा सकता है । निर्भया और जेसिका लाल कांड में मीडिया की भूमिका की जहां दिल खोलकर तारीफ की युवा पीढ़ी ने वहीं सुशांत सिंह राजपूत और हाथरस कांड की कवरेज की आलोचना भी की । यह बहुत अच्छा प्रयास रहा । इसके लिए डी एन काॅलेज , हिसार व डी ए वी काॅलेज , चंडीगढ़ के प्रिंसिपल डाॅ पवन शर्मा को व विक्रमजीत सिंह को बधाई । डी ए वी शिक्षण संस्थान के उच्च शिक्षा निदेशक पूर्व आईएएस अधिकारी शिवरमण गौड़ ने भी दिल खोल कर सराहना की है । टी वी न्यूज एंकर व डीएन काॅलेज की वरिष्ठ प्राध्यापिका डाॅ शम्मी नागपाल की टीम ने भी बेहतर काम किया । ऐसे आयोजन होते रहने चाहिएं ।

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