भिवानी/मुकेश वत्स प्राईवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि कोरोना काल के दौरान निजी स्कूलों को हुए नुकसान का आंकलन करने के लिए प्रदेश स्तर पर एक मूल्यांकन कमेटी का गठन किया जाए। यह कमेटी मूल्यांकन करे कि निजी स्कूलों को इस अवधि के दौरान नुकसान हुआ है या लाभ। कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही सरकार निजी स्कूलों के साथ व्यवहार करे। इसके साथ ही सरकार श्वेत पत्र जारी करे। ताकि सच्चाई जनता के सामने आ सके। कुलभूषण शर्मा पत्रकारों के साथ बातचीत कर रहे थे। इस अवसर पर एसोसिएशन के महासचिव अमित डागर, मीडिया प्रभारी आकाश रहेजा, अजय गुप्ता, प्रवीन सोनी भी मौजूद थे। शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार निजी स्कूलों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। कोरोना काल के दौरान स्कूलों की आर्थिक हालत खस्ता हो चुकी है। सरकार व हाईकोर्ट ने भी आदेश दिए हैं कि स्कूल छात्रों से फीस न वसूले। लेकिन सरकार तो स्कूलों से हर चार्ज की वसूली कर रही है। सम्बद्धता व परीक्षा के नाम पर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड स्कूलों से फीस ले चुका है। इसके अलावा स्कूल बसों का चार माह का पैसेंजर टैक्स माफ किया गया है जबकि 23 मार्च से स्कूल बंद हैं। स्कूल बसों का इंश्योरेस, पासिंग अवधि में भी छूट दी जाए। उन्होंने कहा कि सरकार स्कूल में आने वाले बच्चों से यात्री कर वसूल रही है। जबकि छात्र स्कूल में यात्रा करने नहीं बल्कि शिक्षा ग्रहण करने आता है। पूर्व की हुड्डा सरकार में यह यात्री कर माफ था। उन्होंने सरकार से तुरंत यात्रा कर खत्म करने की मांग की। शर्मा ने कहा कि नियम 134ए का निजी स्कूलों का 500 करोड़ के लगभग रुपया राज्य सरकार की तरफ बकाया है। दो माह पूर्व निजी स्कूलों की शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक हुई थी,जिसमें एक सप्ताह के अन्दर-अन्दर उक्त राशि जारी करने का आश्वासन दिया गया था लेकिन आज तक एक भी पैसा उनके खाते में नहीं आया है। उन्होंने कहा कि सरकार निजी स्कूलों को तो फीस व एक्सट्रा चार्ज के रूप में एक भी पैसा नहीं लेने दे रही जबकि अपना एक भी पैसा छात्र व स्कूलों का माफ नहीं किया जा रहा। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह नियम 134ए की राशि तुरंत जारी करे। इसके अलावा शिक्षा बोर्ड स्कूलों का सम्बंद्धता स्कूल व बोर्ड परीक्षा की फीस तुरंत प्रभाव से माफ करे। ताकि कोरोना काल में अभिभावकों व स्कूल संचालकों को राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि 15 अक्तूबर से निजी स्कूलों को कक्षा 9 से 12वीं तक के लिए खोला जा रहा है। ऐसे में वे सरकार से मांग करते हैं कि जिस प्रकार सरकारी स्कूलों के साथ शिक्षा विभाग व सरकार द्वारा व्यवहार किया जा रहा है। वैसे ही निजी स्कूलों के साथ भी सरकार समान व्यवहार करे। कहा कि सरकारी स्कूलों का शिक्षक जो 60 हजार रुपये तनख्वाह लेता है, उसका कोरोना टैस्ट नि:शुल्क है। लेकिन निजी स्कूलों के शिक्षक से 1600 रुपये की वसूली की जा रही है। यह भेदभाव क्यों बरता जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल कहते हैं कि सरकारी कालेजों में पढऩे वाली छात्राओं को नि:शुल्क बस सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। ऐसे में निजी कालेजों में पढऩे वाली छात्राएं क्या हरियाणा की रहने वाली नहीं हैं और मुख्यमंत्री की बेटी नहीं हैं? शर्मा ने कहा कि 236 सरकारी स्कूलों को सीबीएसई के साथ जोड़ा गया है और आगामी समय में 1 हजार स्कूल जोडऩे की योजना है। ऐसे में वे मांग करते हैं कि जो सरकारी स्कूल हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के साथ सम्बद्ध रहेंगे, उन स्कूलों के छात्रों के साथ भेदभाव क्यों? क्या मुख्यमंत्री को अपने शिक्षा विभाग पर भरोसा नहीं है। उन्होंने मांग की कि सभी स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड से जोडक़र हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को बंद किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया तो वे बरौदा उपचुनाव में सरकार का विरोध करने से पीछे नहीं हटेंगे। Post navigation केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के बावजूद, स्कूल संचालक नहीं खोलेंगे स्कूल। मांगों को लेकर आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन ने एकजुट होने का किया आह्वान