चंडीगढ़,12 अक्टूबर। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा 1993 की खेल ग्रेडेशन पालिसी के तहत जारी सर्टिफिकेट को अमान्य करार देने के बाद स्पोर्ट्स कोटे से ग्रुप डी में लगे करीब एक हजार कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। जिसको लेकर इन कर्मचारियों एवं परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। ऐसा करवाने के लिए सरकार ने हाईकोर्ट में ऐड़ी-चोटी का जोर लगाया है।

फैसले के बाद दर्जनों कर्मचारियों का मानसिक संतुलन भी बिगड़ गया है। हाईकोर्ट द्वारा शुक्रवार को दिए अपने अहम फैसले में 1993 और 25 व 30 नवंबर की खेल ग्रेडेशन पालिसी के तहत जारी सर्टिफिकेट को ग्रुप डी की भर्ती के लिए मान्य नही माना। कोर्ट ने केवल 25 मई,2018 की खेल ग्रेडेशन पालिसी के तहत जारी ग्रेडेशन सर्टिफिकेट को ही मान्य करार दिया है। 

कोर्ट के फैसले अनुसार जिन डी ग्रुप के कर्मचारियों का चयन पिछले साल स्पोर्ट्स कोटे में हुआ था, उन्हें 25 मई,2018 को अधिसूचित खेल ग्रेडेशन पालिसी के तहत ग्रेडेशन सर्टिफिकेट लेने के लिए आवेदन करना होगा और संबंधित अथारिटी को आवेदन व दावे पर एक महीने के भीतर फैसला करना अनिवार्य होगा।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने इस मामले में हरियाणा सरकार के रवैए पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कड़ी नाराजगी जताई है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा, महासचिव सतीश सेठी व उप प्रधान सीलक राम मलिक ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि बिना खर्ची-बिना पर्ची भर्ती करने का दावा करने वाली सरकार अपने ही कर्मचारी चयन आयोग द्वारा की गई भर्ती के खिलाफ हाईकोर्ट गई है।

उन्होंने कहा कि एक साल में जितनी भर्तियां हुई ग्रुप डी के इन कर्मचारियों के भाई व बहनों को 5 नंबर नहीं दिए गए, क्योंकि इनको कर्मचारी माना गया और कर्मचारियों के परिजनों के 5 अंक काट लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चयन आयोग व विभागों ने डाकूमेंटस वेरीफिकेशन करने के बाद ही ज्वाइनिंग करवाई थी। अगर इनके सर्टिफिकेट मान्य नही थे तो इन्हे क्यों ज्वाइन करवाया गया। इसका जबाव सरकार व आयोग को देना चाहिए।

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