चंडीगढ़/पंचकूला, 09 अक्तूबर। प्रदेश को नशा मुक्त बनाने व मादक पदार्थो पर रोक लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने उत्तरी राज्यो का मुख्यालय प्रदेश की मिनी राजधानी के नाम से जाने वाले पंचकूला में बनाया हुआ है। उसके बावजूद भी बैन होने पर भी पंचकूला में ही अवैध रूप से हुक्का बार्स चल रहे है। जिसको सबसे ज्यादा प्रभाव देश व प्रदेश की युवा वर्ग पर पड़ रहा है। गृह मंत्री अनील विज के तेज तरार मंत्री होने के बाबजूद भी नशा रूकने का नाम नही ले रहा है। यह सभी अवैध हुक्का बार्स प्रदेश के पुलिस मुख्यालय, पुलिस थानों के आस-पास के सैक्टरो में चल रहे है।

पंचकूला में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दीपांशु बंसल की जनहित याचिका न 122/2020 पर सुनवाई करते हुए रेस्ट्रॉन्स व केफेस आदि की आड़ में चल रहे हुक्का बार्स पर बैन व राज्य सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाया हुआ है। 22 सितंबर 2020 को मुख्य न्यायधीश ने मामले की सुनवाई करते हुए आदेश जारी किए थे परन्तु जिला पंचकूला में हुक्का बार संचालको के हौसले इतने बुलन्द है कि लगभग 20 दिन बीत जाने के बावजूद भी धड़ले से नशे के कारोबार को चलाया जा रहा है।

बंसल ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार उन्होंने जिला उपायुक्त, डीसीपी पंचकूला, स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर व डीजीपी हरियाणा को सूचित करते हुए इन हुक्का बार्स को बन्द करने की बात कही है। ईमेल व पत्र के माध्यम से इन्फॉर्म कर सभी हुक्का बार्स के नाम भी दिए गए है। मुख्य न्यायधीश ने आदेश दिए थे कि यदि प्रदेश में कही राज्य सरकार के आदेशों की अवेहलना यानी कही पर हुक्का बार्स खुले पाए जाए तो लोकल अथार्टी को सूचित किया जाए जिससे आवश्यक कार्यवाही कर बन्द करने समेत आगामी कार्यवाही की जाए। जिसको लेकर लोकल अथार्टीस को भी सूचित किया है। दीपांशु का कहना है कि यह बड़ी आश्चर्य की बात है कि जिला पंचकूला में इतने हुक्का बार आखिर चल किसके संरक्षण में रहे है।

कार्यवाही न हुई तो कंटेम्प्ट आॅफ कोर्ट की याचिका दायर करेंगे….

हरियाणा सरकार द्वारा हाईकोर्ट में शपथ पत्र दिया गया है कि यदि प्रदेश में कही पर हुक्का बार चलने की शिकायत याचिकाकर्ता द्वारा दी जाए तो उसपर राज्य सरकार द्वारा कानून के तहत सख्त कार्यवाही कर बन्द करने का काम किया जाएगा। जिला पंचकूला प्रशासन हुक्का बार्स को बन्द करने के मामले में कितनी गम्भीरता दिखाता है क्योंकि याचिकाकर्ता ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि राज्य सरकार इस मामले को लेकर गम्भीरता से काम नही करेगी तो वह कंटेम्प्ट आॅफ कोर्ट में पुन: हाईकोर्ट की शरण लेंगे।

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