-कमलेश भारतीय गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के एमबीए विभाग की शोध छात्रा सुचेता बूरा का शोध है कि स्वदेशी और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लगभग 25 प्रतिशत कर्मचारियों में काम के दौरान अलगाव की भावना पाई गई है। जिसके कारण वह पहले अपने काम से पराये हो जाते हैं, धीरे धीरे सहकर्मियों से, सामाजिक सर्कल से और अंत में अपने आप से। इस परिस्थिति में कर्मचारी का अपना कार्यप्रदर्शन और संगठनात्मक प्रतिबद्धता कमज़ोर पड़ जाते हैं और तनाव बढ़ जाता है जिस कारण कम्पनियों मैं उत्पादकता पर बुरा असर पड़ता है। उल्लेखनीय है कि सुचेता बूरा ने एमबीए दिल्ली यूनिवर्सिटी से करने के बाद गुजवि के एमबीए विभाग के डाॅ दलबीर सिंह के निर्देशन में पिछले लगभग चार पांच साल से इस विषय पर शोध आरंभ कर रखा है । वह सेक्टर सोलह सत्रह की निवासी है और पापा बलवान सिंह बिजली विभाग में उच्चाधिकारी रहे जबकि मम्मी सुलोचना गृहिणी हैं । अब शोध काफी निकट आ गया है । यही विषय क्यों चुना? इसके जवाब में सुचेता का कहना था कि जब वह सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही थी तब समाजशास्त्र विषय लिया था । उसी से इस विषय को चुनने की प्रेरणा मिली कि आखिर कर्मचारियों को उनके औद्योगिक संस्थान में अच्छा काम काज का माहौल मिलता है या नहीं ? क्या उन्हें अच्छे माहौल में काम करने की सुविधा दी जाती है ? उन्हें प्रेरित किया जाता है या फिर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है ? क्या उन्हें नेतृत्व के योग्य तैयार किया जाता है ? क्या उन्हें विश्वास में लिया जाता है ? क्या उनके निजी दुख दर्दों में कंपनी की ओर से कोई सहायता की जाती है ? जाॅब में क्या प्रमोशन चैनल हैं या कोई प्रोत्साहन दिया जाता है । ये सारे मुद्दे लिए गये हैं । मेहनत करने के बाद प्रोत्साहन न मिलने पर डिप्रेशन और अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं कर्मचारी । यह निष्कर्ष निकलता नज़र आ रहा है ।। Post navigation दर्शक मिलें न मिलें , हाथ हिलाते रहिए ,,,,? वही पालकी देश की, जनता वही कहार। लोकतन्त्र के नाम पर, बदले सिर्फ सवार।।