वही पालकी देश की, जनता वही कहार। लोकतन्त्र के नाम पर, बदले सिर्फ सवार।।

ऐतिहासिक काव्य-संध्या में डॉ रामनिवास ‘मानव’ ने अपने अनेक हाइकु, द्विपदियां और दोहे सुनाकर समां बांध दिया। अन्तरराष्ट्रीय संस्था महिला काव्य-मंच द्वारा  महात्मा गांधी और श्री लालबहादुर शास्त्री की स्मृति में ‌ एक वर्चुअल ‌अन्तरराष्ट्रीय काव्य-संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग बीस देशों के तीस से भी अधिक कवि-कवयित्रियों ने सहभागिता की। 

 डॉo सत्यवान सौरभ, रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,दिल्ली यूनिवर्सिटी,कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,

अन्तरराष्ट्रीय संस्था महिला काव्य-मंच द्वारा  महात्मा गांधी और श्री लालबहादुर शास्त्री की स्मृति में ‌ एक वर्चुअल ‌अन्तरराष्ट्रीय काव्य-संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग बीस देशों के तीस से भी अधिक कवि-कवयित्रियों ने सहभागिता की। चार घंटों तक चली इस भव्य काव्य-संध्या में अन्तरराष्ट्रीय ख्याति-प्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद् डॉ रामनिवास ‘मानव’ मुख्य अतिथि और श्री लालबहादुर शास्त्री के सुपुत्र तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व ‌कैबिनेट मन्त्री श्री सुनील शास्त्र और बीकानेर विश्वविद्यालय, बीकानेर (राज) की पूर्व कुलपति डॉ चन्द्रकला पाडिया अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

महिला काव्य-मंच के संस्थापक श्री नरेश नाज़ और राष्ट्रीय मार्गदर्शक श्रीमती नियति भारद्वाज के सान्निध्य, मंच की राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती नीतूसिंह राय की अध्यक्षता तथा  आयोजक डॉ दुर्गा सिन्हा ‘उदार’  की उपस्थिति में सम्पन्न हुई इस काव्य-संध्या का कुशल संचालन  डॉ विनीता मेहता और श्रीमती मोनिका ठाकुर द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। डॉ दुर्गा सिन्हा ‘उदार’ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती-वंदना और शालू गुप्ता द्वारा रचित कविता ‘मकाम’ की सस्वर प्रस्तुति के उपरान्त श्री नरेश नाज़ ने सभी अतिथियों का स्वागत कर समारोह का विधिवत आगाज़ किया।

इस ऐतिहासिक काव्य-संध्या में डॉ रामनिवास ‘मानव’ ने अपने अनेक हाइकु, द्विपदियां और दोहे सुनाकर समां बांध दिया। उनका एक दोहा देखिए-‘वही पालकी देश की, जनता वही कहार। लोकतन्त्र के नाम पर, बदले सिर्फ सवार।।’ डॉ चन्द्रकला पाडिया ने अपनी कविता में देशभक्ति  का रंग भरा, वहीं श्री नरेश नाज़ ने देश के नौजवानों से देश को बचा लेने की इल्तज़ा की; डॉ. दुर्गा सिन्हा ‘उदार’ ने भारत के स्वर्णिम भाविष्य के निर्माण की कामना की, तो श्रीमती नियति भारद्वाज  ने ‘ज़िंदगी अब हाशिये पर आ गई है’ कहकर अपने मनोभावों को व्यक्त किया, वहीं श्रीमती नीतूसिंह राय और श्रीमती उर्वशी अग्रवाल ‘उर्वी’ ने काव्य-संध्या में उत्कृष्ट काव्य-पाठ कर रंग जमा दिया। डॉ. विनिता मेहता ने अपने काव्य में वतन की कहानी की चर्चा की, वहीं श्रीमती मोनिका ठाकुर ने हिन्दी भाषा का गुणगान किया।

इस शानदार काव्य-संध्या में मेहमान कवियों और कवयित्रियों में शामिल मस्कट (ओमान) से  श्रीमती हरविंदर बबली, अॉकलैंड (न्यूजीलैंड) से श्री रोहितकुमार ‘हैप्पी’, दोहा (कतर) से श्री बैजनाथ शर्मा और ओस्लो (नॉर्वे) से डॉ.सुरेशचंद्र शुक्ल ने गरिमामय उपस्थिति  दी तथा भिन्न-भिन्न विषयों पर उम्दा काव्य-पाठ कर सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया।  अमरीका से‌ डॉ कमला सिंह (सैन डिएगो), श्रीमती विनीता श्रीवास्तव (सिएटल), श्रीमती शकुन शर्मा (वाशिंगटन), डॉ श्वेता सिन्हा (आयोवा), डॉ. मीरा सिंह (फिलाडेल्फिया) तथा‌ श्रीमती आस्था नवल (मैरीलैंड), दुबई से श्रीमती स्नेहा देव (दुबई सिटी), आबूधाबी से श्रीमती ललिता मिश्रा (आबूधाबी सिटी), रूस से श्रीमती श्वेता सिंह (मास्को), आस्ट्रेलिया से श्रीमती उर्मिला मिश्रा (मेलबर्न) तथा श्रीमती रिचा दुआ (टाउंसविले), नेपाल से श्रीमती रूपम यादव (काठमांडू), कनाडा से श्रीमती प्राची चतुर्वेदी रंधावा (वैंकुवर) तथा श्रीमती प्रीतपाल कौर (विन्निपेग), जर्मनी से श्रीमती शिल्पा शिल्पी सक्सेना (बर्लिन), फ्रांस से श्रीमती कुलवन्त कौर (विलेपिटे),  मॉरिशस’ श्रीमती रंजना बनवारी (पोर्ट लुईस) तथा कुवैत से श्रीमती नाज़नीन अली (कुवैत सिटी) ने सहभागिता कर कार्यक्रम को सफल बनाया।

काव्य-संध्या के अन्तिम चरण में श्री नरेश नाज़ और श्रीमती नियति भारद्वाज ने अंतरराष्ट्रीय काव्य के सफल आयोजन हेतु सभी को  बधाई दी, डॉ दुर्गा सिन्हा ‘उदार’  ने सभी विशिष्ट अतिथियों और संभागी कवि-कवयित्रियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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