भिवानी/मुकेश वत्स

 अगर यूं ही मुजरिमों को मुकदमा दर्ज होने के बावजुद भी गिरफ्तार ना करना कहीं न कहीं छोटे पुलिसवालों की कार्यशैली पर प्रश्रचिन्ह लगाता है। बार-बार पुलिस द्वारा शिकायतकत्र्ता पर समझौते का दबाव कुछ और ही ब्यान करता है। यह बात पीडि़त शिकायतकत्र्ता एवं वरिष्ठ अधिकवक्ता कुसुम शर्मा ने कहे।

उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए थाना अध्यक्ष को फाईल समेत अपने कार्यालय में बुला तुरंत कार्यवाही का आदेश दिया। बावजुद उसके एसएचओ थाना शहर समझौता करवाने का दबाव बना रहा है। जिसकी वजह से अपराधियों के हौसले इतने बुलंद है कि वे 29 सितंबर को पुन: मेरी गली में आये और पड़ोसियों को कहने लगे कि क्या इस समय कुसुम घर पर होगी। अपराधियों के बार-बार आचरण कहीं ना कहीं पुलिस की मिली भगत का नतीजा है। कुसुम शर्मा ने आगे कहा इससे पहले 15 सितंबर को सोशल मीडिया पर भी किसी कपिस जांगड़ा और आरोपी अरविन्द द्वारा कुसुम शर्मा के सन्दर्भ में काफी गलत बरगलाने वाली बाते डाली गई।

कुसुम शर्मा ने कहा कि 14-15 व्यक्ति पहले आकर हमला करते है इसके बाद आश्रम पर जाकर अश£ील गालियां, भद्दी बातें, जान से मारने की धमकी देते है जिसके सभी सबुत पुलिस को देने के बावजुद भी आज तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी पुलिस द्वारा नहीं की गई। बार-बार आरोपियों द्वारा हरकत करने के बावजुद पुलिस उन्हें क्यों नहीं गिरफ्तार करती। अगर तुरंत उपरोक्त सभी आरोपी गिरफ्तार नहीं किये गये तो कम से कम 100 महिलाओं का शिष्ट मंडल चण्डीगढ जाकर मुख्यमंत्री, गृहमंत्री अनिल विज व पुलिस महानिदेशक से मुलाकात कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करेंगे।

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