कुछ नेताओं को सफलता पचती नही है शायद प्रदेश के ग्रहमंत्री भी उन्ही लोगो में से एक है। वो कहने को तो हरियाणा के गृहमंत्री है किंतु उनका ध्यान प्रदेश की जगह राष्ट्रीय मुद्दों पर रहता है। शायद वो बीजेपी IT से ज्यादा प्रभावित है और उन्ही के अनुसार अपनी भावना व्यक्त करते है?

प्रदेश के मुख्यमंत्री कुछ बयान देते है और वो कुछ और वेसे ये जग जाहिर है कि इनकी आपस में नही बनती। हरियाणा में शराब घोटाले में भी ग्रहमंत्री की एक न चली या ऐसा भी कह सकते है कि शराब घोटाले के आरोपियों को बचा कर मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचा रहे थे और ग्रहमंत्री अपनी साख। किन्तु दोनों में मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचाने में सफल हुए। ग्रहमंत्री को 1400 km दूर एक अभिनेत्री के आफिस का अवैध निर्माण टूटने की जानकारी रहती है किंतु खुद के प्रदेश में खुद के अंतर्गत आने वाली पुलिस द्वारा किसानो को पीटने की जानकारी इनके पास नही होती। सुनने में तो ये भी आता है कि ग्रहमंत्री उपमुख्यमंत्री से भी नाराज रहते है। किंतु मोदी जी के आशीर्वाद से मुख्यमंत्री बने खट्टर साहब की कुर्सी की खातिर कुछ बोल नही पाते।

शायद अनिल विज जी खुद को राष्ट्रीय नेता समझने लगे है या साबित करने में लगे है। हरियाणा के किसान को जनता भी देख रही है कि मोदी जी के नाम पर जो सरकार बनी वो उनकी सुन रही है उनके लिए काम कर रही है या मात्र मोदी जी को खुश करने में लगी हुई है।

प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर है, अपराध का बोलबाला है। बेरोजगारी के कारण आत्महत्याएं बढ़ी है। व्यापार चौपट हो चुके है, महिलाएं सुरक्षित नही है भरस्टाचार के नए आयाम को छू रहे है किन्तु ग्रहमंत्री जी अभिनेत्री के प्रेम पास में फसे हुए है।

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