हरियाणा में पीटीआइ शिक्षक भर्ती के लिए 23 अगस्त को हुई परीक्षा में करीब एक दर्जन सवाल ऐसे आए थे, जिनके गलत जवाब उत्तर कुंजी में सही माने गए थे। इससे हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की किरकिरी हाे रही है। मामला पंजाब एंव हरियाणा हाई कोर्ट में पहुंच गया है।

एक याचिका दायर कर पीटीआइ भर्ती परीक्षा का रिजल्‍ट रद करने की मांग की है। हाई कोर्ट ने इसके बाद एचएसएससी का नोटिस जारी कर पूछा है कि उसने बिना विसंगतियों को दूर किए परीक्षा का रिजल्‍ट कैसे घोषित कर दिया।

हाई कोर्ट ने पूछा- लिखित परीक्षा की उत्तर कुंजी में विसंगतियां दूर किए बगैर परिणाम कैसे किया घोषित

हाई कोर्ट में दायर याचिका में बताया गया है कि इस बाबत हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के सामने लिखित परीक्षा की उत्तर कुंजी में विसंगतियां दूर करने को लेकर आपत्ति दर्ज की गई थी। इसके बावजूद आयोग ने अभी तक उस पर संज्ञान नहीं लिया है। इसे आधार बनाकर याचिका में पीटीआइ भर्ती परीक्षा के घोषित परिणाम को रद करने की मांग की गई है।

कुरूक्षेत्र निवासी पवन कुमार व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर पीटीआइ शिक्षक भर्ती के परिणाम को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता के वकील जसबीर मोर ने बेंच को बताया कि आयोग ने 23 अगस्त को ली परीक्षा का 24 सितंबर को परिणाम घोषित किया था। बेंच को बताया गया कि परिणाम घोषित करने से पहले आयोग ने कुल सौ सवालों के बदले केवल 90 सवालों की उत्तर कुंजी वेबसाइट पर अपलोड कर आपत्तियां मांगी थी। याचिकाकर्ताओं ने सवालों पर आपत्ति दर्ज करवाते हुए यह भी सवाल उठाया था कि जब परीक्षा में सौ सवाल पूछे गए तो उत्तर कुंजी 90 की क्यों जारी की गई। सौ सवालों की उत्तर कुंजी क्यों नहीं जारी की गई।

याचिका के अनुसार, इस आपत्ति के बाद आयोग ने वेबसाइट से उत्तर कुंजी हटा दी। इसके बाद आयोग ने परिणाम घोषित कर दिया। मोर ने बेंच को बताया कि आयोग द्वारा परीक्षा में पूछे गए दर्जन भर सवाल ऐसे हैं, जिनके आयोग ने कुछ उत्तर सही माने हुए हैं, जबकि वास्तव में उनके उत्तर कुछ और ही हैं। यानी गलत उत्तरों को आयोग ने उत्तर कुंजी में सही मान रखा है और इसी को देखते हुए रिजल्ट घोषित किया गया है। मोर ने बेंच को बताया कि एक सवाल है ‘खेलो इंडिया वूमैन हाकी लीग कहां आयोजित की गई’, इसका उत्तर आयोग ने ए – नई दिल्ली माना है। इसका सही उत्तर डी है।

ऐसे ही एक सवाल में ‘कौन सा साल भारत का ओलंपिक गोल्डन साल रहा’ पूछा गया है, जिसका उत्तर आयोग ने बी-1996 माना है, जबकि उस साल भारत को कोई मेडल नहीं मिला। याची ने इसका सही जवाब 1952 बताया है, क्योंकि वह स्वतंत्र भारत का पहला ओलंपिक था और हाकी में भी भारत को गोल्ड व कुश्ती में कांस्य मिला था। एक अन्य सवाल बहादुरगढ़ कौन से नेशनल हाइवे पर स्थित है? इसका सही जवाब है, एनएच 9 लेकिन आयोग ने इसे एनएच दस माना है।

ऐसा ही एक गलत सवाल जो अंग्रेजी व्याकरण से था, पूछा गया। यह सवाल केंद्रीय स्टाफ सलेक्शन कमीशन ने एसएससी परीक्षा में साल 2017 में पूछा था। उसको यहां कापी कर लिया गया, लेकिन हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने कापी करने से पहले यह जांच नहीं की कि उस गलत सवाल के बदले कमीशन को ग्रेस अंक देने पड़े थे।

ऐसा ही एक सवाल, जिसमें आयोग ने कहा है कि खरीफ की फसल की कटाई अक्टूबर व नवंबर में होती है, जबकि सही उत्तर सितंबर व अक्टूबर होना चाहिए। मोर ने बेंच को बताया कि ऐसे काफी सवाल हैं, जिन पर उम्मीदवारों ने आपत्ति जताई, लेकिन उनकी आपत्ति दूर किए बगैर परिणाम घोषित कर दिया।

सभी याचिकाकर्ताओं को साक्षात्कार में शामिल करने का हाई कोर्ट ने दिया आयोग को आदेश

हाई कोर्ट ने याची की दलील सुनने के बाद हैरानी जताते हुए आयोग को निर्देश दिया कि वह सभी याचिकाकर्ताओं को साक्षात्कार में शामिल करे व उनका परिणाम सुरक्षित रखे। इसके साथ ही सवालों पर उठाई गई आपत्ति का निवारण कर उनको जानकारी दी जाए। आयोग यह भी बताए कि पहले 100 के बदले केवल 90 की उत्तर कुंजी क्यों जारी की गई व बाद में उसको हटा कर उम्मीदवारों की आपत्ति को दूर किए बगैर परिणाम कैसे घोषित कर दिया।

विधि विशेषज्ञों से करेंगे राय, फिर देंगे जवाब

इस बारे में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती का कहना है कि आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा के सवाल विशेषज्ञ और टीम तैयार करती है। इस बारे में वह मामले की गहराई में जाकर जांच कराएंगे। आयोग के विधि विशेषज्ञों से भी बात होगी। हाईकोर्ट के दिशा निर्देश अभी आयोग को नहीं मिले हैं। उन्हें मिलने के बाद उनका अध्ययन कराया जाएगा। विधि विशेषज्ञों की राय के बाद ही वह कुछ कह पाने की स्थिति में होंगे।

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