भारत साारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

हरियाणा भाजपा में इस समय सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। मुख्यमंत्री की राष्ट्रीय अध्यक्ष व गृहमंत्री से मुलाकातें हो रही हैं। चर्चा यह भी निकलकर आई है कि मुख्यमंत्री को बदलने की संभावना है। दूसरी ओर बरौदा उपचुनाव की घोषणा हो गई है। मंगलवार को प्रात: चुनाव की घोषणा हुई, जबकि सायं 3 बजे मुख्यमंत्री को वर्चुअल रैली से बरोदा के लिए घोषणाएं करनी थीं, आचार संहिता के कारण नहीं कर पाए। खैर, अभी उन्हें मंत्रीमंडल विस्तार करना है और उस विस्तार में किस मंत्री का नाम कटेगा और किसका आएगा, इसी सोच में लगभग सभी मंत्री और विधायक लगे हुए हैं।

इधर प्रदेश अध्यक्ष जो किसानों को नहीं समझा पाए तो उन पर भी हाइकमान की नजर है। वह उस पर लगे हुए हैं। बरौदा उपचुनाव में उन्होंने जेपी दलाल को प्रभारी बनाया लेकिन उनका विधानसभा में जगह-जगह विरोध हो रहा है। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष के साथ वही कहावत चरितार्थ हो रही है कि सिर मुंडाते ही ओले पड़े।

प्रदेश अध्यक्ष को अभी प्रदेश कार्यकारिणी और जिला कार्यकारिणी घोषित करनी है, उसके लिए भी उसी प्रकार प्रतिक्षा करनी पड़ रही है, जिस प्रकार जिला अध्यक्ष के नामों की घोषणा करते समय करनी पड़ी थी। वर्तमान में यह कहा जा रहा है कि दो तारीख को घोषणा होगी। अब दो को हो या दो-तीन दिन बाद, यह तो समय बताएगा परंतु नामों के चयन में उन्हें मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष की सलाह भी माननी पड़ेगी, ऐसा सूत्र बताते हैं कि वह अपनी मर्जी से नियुक्ति नहीं कर पाएंगे।
वर्तमान में जो भाजपा के वरिष्ठ हैं, वे प्रदेश कार्यकारिणी में स्थान पाने के लिए लालायित हैं और उन सभी का ध्यान वर्तमान में किसान आंदोलन या बरौदा उपचुनाव से अधिक अपनी सैटिंग करने में है। ऐसा कुछ भाजपाइयों से ही बात करने पर ज्ञात हुआ।

अब बात करें बरौदा उपचुनाव के प्रभारी एवं कृषि मंत्री जेपी दलाल की तो उनके साथ भी बात वही बन रही है कि कहीं इस चुनाव की असफलता का ठीकरा उनके सिर फूटा तो मंत्रीमंडल पर तो आंच नहीं आ जाएगी।

कल कृषि मंत्री ने प्रेसवार्ता में कहा था कि हम चुनाव मोदी जी के कार्यों और उनके नाम पर लड़ेंगे, जबकि आज प्रेसवार्ता में मुख्यमंत्री कहते हैं कि पिछले दस साल तो कांग्रेस ने कुछ कार्य किया ही नहीं और हम चुनाव अपनी उपलब्धियों पर लड़ेंगे। पहली बात यह कि फैसला करें कि मोदी की उपलब्धियों पर लडऩा है या अपनी। और यदि अपनी पर लडऩा है तो विगत 6 वर्ष से तो राज मुख्यमंत्री जी आपका ही है और ही कह रहे हैं कि विगत दस वर्षों से कोई कार्य ही नहीं हुआ। खैर आप समझें।

उपरोक्त स्थितियों को देखते हुए लगता है कि आने वाला समय भाजपा के लिए सुगम नहीं रहने वाला। और अभी तो एक बात रह गई कि इनके गठबंधन की पार्टी जजपा, वह भी आंतरिक कठिनाइयों से गुजर रही है।