कॉर्डिसेप्स मिलिटरीज प्राकृतिक रूप से उगने वाली कीड़ाजड़. प्रोटीन, पेपटाइड्स, अमीनो एसिड, विटामिन पोषक तत्व से भरपूर. विदेशों में इसको विकल्प के रूप में लैब में तैयार किया गया फतह सिंह उजाला पटौदी। कोरोना कोविड-19 महामारी को लेकर चले लंबे लॉकडाउन और उसके बाद अनलॉक के दौरान बने हालात को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी के द्वारा आह्वान किया गया कि आपदा को अवसर में तब्दील करें । लॉकडाउन का असर ऐसा पड़ा कि इससे कोई भी बचकर नहीं रह सका । लेकिन हिम्मत और उम्मीद, वह हथियार वह रास्ता है जो कि ताकत के साथ साथ मार्गदर्शक भी बनता है । यही कारण रहा कि ग्रामीण अंचल के युवक ने कुछ अलग ही करने का मन बनाया और आज वह हरियाणा की पारंपरिक खेती के क्षेत्र में एक अलग पहचान के साथ मुकाम बनाने में सफल रहा है । हम बात कर रहे हैं राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री भूपेंद्र यादव के पैतृक गांव जमालपुर के निवासी युवा किसान विनोद कुमार यादव की । युवा किसान ने ऐसी औषधीय मशरूम अत्याधुनिक लेबोरेटरी में तैयार की है, जिसकी बाजार कीमत एक लाख प्रति किलो तक है । यह दाम सुनकर कोई भी चैक सकता है , लेकिन युवा किसान विनोद के दावे पर भरोसा किया जाए उसके द्वारा अपनी लैबोरेट्री में तैयार की जा रही है औषधीय मशरूम वास्तव में ही 70 हजार से लेकर एक लाख प्रति किलो के बीच मार्केट में बिक्री हो रही है । लैब में मशरूम की विशेष प्रजाति उगाईग्रामीण आंचल में आसमान छूते जमीनों दाम और खेतों में घटती पैदावार के चलते जहां युवा पिढ़ी कृषि से मुंह मोड़ने लगी है। वहीं गांव जमालपुर के युवा किसान विनोद कुमार यादव ने कम लागत, छोटी सी लैब में थोडे से समय में अधिक मुनाफा देने वाली औषधीय गुणों से भरपूर कार्डयसेप्स मिलिटरीज मशरुम तैयार करके उम्मीद की किरण जगाई है। मार्किट में 70 हजार से एक लाख रुपए किलों मिलती है यह मशरुम। विनोद कुमार क्षेत्र में चर्चा का विषय बने हुए है। विनोद कुमार पुत्र प्रहलाद सिंह ने बताया कि उन्होंने घर पर ही बनाई लैब में मशरूम की एक विशेष प्रजाति कॉर्डिसेप्स मिलिटरीज (कीड़ाजड़ी) उगाने में कामयाबी पाई है। कॉर्डिसेप्स मिलिटरीज प्राकृतिक रूप से उगने वाली कीड़ाजड़ी (कॉर्डिसेप्स साइनेसिस) का ही एक रूप है, जिसे विदेशों में इसके विकल्प के रूप में लैब में तैयार किया जाता है। कम खर्च में ज्यादा मुनाफा देने वालीउन्होंने बताया कि गांव जमालपुर में उसके हिस्से में मात्र सवा एकड भूमि ही आती है। उसने 12वीं कक्षा के बाद एजुकेशन डिप्लोमा इन मकैनिकल मानेसर से किया है। कम खेती योग्य कम जमीन होने के बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और कृषि के क्षेत्र में कुछ अलग करने की ठानी और मोती की खेती के साथ साथ घर में एक छोटे कमरे में वातानुकुलित लैब तैयार करके उसमें करीब 500 प्लास्टीक व कांच के छोटे बॉक्स के साथ मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में भी सफलता पूर्वक कदम रख दिया है। कृषि योग्य कम भूमि और भूमिहीन युवा साथियों के लिए कम खर्च में ज्यादा मुनाफा देने वाली खेती है। यह खेती खेत में नहीं मकान के कमरे में वातानुकुलित रूम में करके युवा स्वंय ही नहीं दूसरों को भी रोजगार देने में सक्षम होगें। दो तीन साल तक खराब नहीं होतीबताया कि वातानाकुलित लैब के अंदर 20 से 22 घंटे बिजली , तापमान 22 डिग्री तक रखना है। सर्दी के मौसम में बजली की खपत कम होती है। यह फसल दो तीन साल तक खराब नहीं होती है। लैब तैयार करने में करीब एक लाख रुपए का खर्च आता है। लैब में किसी भी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित होना चाहिए। व्यक्ति के साथ आने वाले बैकटीरिया फसल को नष्ट कर सकते है। यह फसल कांच, प्लास्टिक के जॉर अथवा बॉक्स में आसानी से की जा सकती है। फसल 90 दिनों में तैयार हो जाती है। उन्होंने बताया कि औषधीय गुणों से भरपूर कार्डयसेप्स मिलिटरीज मशरुम में प्रोटीन, पेपटाइड्स, अमीनो एसिड, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12 जैसे पोषक तत्व बहुतायत में पाए जाते हैं। ये तत्काल रूप में ताकत देते हैं। Post navigation जनता कैसे करें फरियाद…तो साहब को है व्हाट्सएप से परहेज ! ‘राजा’ की नगरी में डोल रहा उनके ही चहेते वजीर का ‘सिंहासन’ !