क्या बावल से मंत्री पद जाएगा कोसली , जल्द फेरबद के संकेत. मंत्रीमंडल में फेरबदल हुआ तो जा सकती है डा. बनवारी की कुर्सी. ’राव इंद्रजीत की नाराजगी दोहरा सकती है बिक्रम ठेकेदार जैसा हश्र’ फतह सिंह उजाला पटौदी। क्या राजा राव इंद्रजीत सिंह अपने ही समर्थक और चहेते सूबे में खट्टर मंत्रीमंडल में वजीर से नाराज है, तो क्यो ? इन दिनों राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम हैं । जिस तरह से वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में अहीरवाल के दिग्गज नेता राव इंद्रजीत सिंह की बदौलत पहली बार विधानसभा में पहुंचने व मंत्री पद हासिल करने वाले बिक्रम ठेकेदार का पद राव की नाराजगी के कारण ही हाथ से फिसला था, ठीक वैसा ही घटनाक्रम इस बार मंत्रीमंडल में फेरबदल होने की स्थिति में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डा. बनवारी लाल के साथ दोहराया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक अगर मंत्रीमंडल में होने वाले फेरबदल में राव की चलती है, तो बनवारी के हाथ से मंत्री पद खिसकना तय माना जा रहा है। इसके बाद अहीरवाल में राव के ही किसी दूसरे चहेते विधायक के सिर पर मंत्री का ताज रखा जा सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राव इंद्रजीत सिंह की ‘मेहरबानी’ से लगातार दूसरी बार भाजपा का टिकट हासिल कर, मंत्री पद पाने वाले डा. बनवारी अब एक तरह से ‘बागी’ की भूमिका में माने जा रहे हैं। अहीरवाल में इस समय राव खेमे से एडीओ ओमप्रकाश और डा. बनवारी दो मंत्री हैं। उनके अलावा कोसली के विधायक लक्ष्मण सिंह और अटेली के विधायक सीताराम राव के खास सिपहसलारों में शुमार हैं। बनवारी दूसरी बार मंत्री बनने के बाद अपनी कार्यशैली से राव को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार करीब एक माह पूर्व राव के दिल्ली निवास पर हुई दोनों मंत्रियों और विधायकों के साथ बैठक में राव इंद्रजीत सिंह बनवारी के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। यह नाराजगी एक सीमा से बाहर बताई जा रही है। सूत्र बताते हैं कि अपने दूसरे कार्यकाल में बनवारी राव इंद्रजीत सिंह के इशारों पर नाचने की बजाय अपने खुद के राजनीतिक निर्णय लेने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। उनके कुछ निर्णय राव समर्थकों को रास नहीं आ रहे। समर्थकों की फडबैक के मुताबिक राव अब बनवारी से नाराज चल रहे हैं। प्रदेश में पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनने के बाद राव इंद्रजीत सिंह ने अपने खास समर्थक बिक्रम ठेकेदार को मंत्री पद दिलाया था। करीब डेढ़ साल बाद ही इंद्रजीत के साथ नाराजगी ने उनके हाथ से मंत्री पद छीन लिया। बिक्रम के हाथ से मंत्री पद खिसकने के बाद ही डा. बनवारीलाल को मंत्री पद मिला था। गत विधानसभा चुनावों में बिक्रम ठेकेदार के भाजपा की टिकट से भी वंचित रख दिया था। ऐसा माना जा रहा है कि राव बनवारी से इस समय खासे नाराज चल रहे हैं। प्रदेश सरकार के मंत्रीमंडल में संभावित फेरबदल के दौरान इंद्रजीत सिंह को पूरा महत्व दिया जा सकता है। अगर बनवारी इंद्रजीत की नाराजगी का शिकार होते हैं, तो लक्ष्मण या सीताराम दोनों में से किसी एक की लाटरी आसानी से लग सकती है। देखना यह होगा कि आने वाले समय में अहीरवाल क्षेत्र की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा। Post navigation मानों या नहीं मानो…यह मशरूम एक लाख रूपए प्रति किलो स्वछता में फर्रुखनगर को नार्थ इंडिया में स्थान दिलाएंगेः भुक्कल