साहब के पास है पटौदी सबडिवीजन की जिम्मेदारी.
कितने लोगों को मालूम है ऑफिशियल मेल आईडी.
सममस्या-समाधान के लिए सरल माध्यम व्हाट्सएप

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
   हरियाणा सरकार और सरकार के तमाम आला अधिकारी सहित  मंत्री भी विभिन्न माध्यमों से ऑनलाइन रहते हुए हुए आम जनमानस की समस्याओं को सुनते हुए समाधान करने को प्राथमिकता देते आ रहे हैं । लेकिन पटौदी सबडिवीजन में एक ऐसे साहब भी हैं, जिन्हें शायद सरकार की व्यवस्था उनकी अपनी सुविधा के अनुकूल नहीं लग रही है । आज के समय में किसी भी सूचना ,समस्या, शिकायत और समाधान के आदान-प्रदान के लिए मोबाइल और मोबाइल पर व्हाट्सएप सबसे अधिक सरल कम्युनिकेशन सिस्टम है । लेकिन लगता है पटौदी के साहब को यह सब पसंद ही नहीं है ?

पटौदी के इन साहब के पास पूरे पटौदी विधानसभा क्षेत्र की सभी विभागों की जिम्मेदारी भी है और संबंधित विभागों की जनता के द्वारा की जाने वाली शिकायतों का समाधान भी इन्हीं के अधिकार क्षेत्र में आता है। अब ऐसे में लाख टके का सवाल यह है कि जब एक छोटा सा सरकारी कर्मचारी अथवा किसी भी अधिकारी का मातहत सेवादार अथवा द्वारपाल या फिर कार्यालय का चपरासी भी आधुनिक संचार व्यवस्था में सबसे सुविधाजनक मोबाइल के विभिन्न एप्स जैसे ट्विटर, व्हाट्सएप वगैरह पर एक्टिव रहते उपलब्ध हैं, तो साहब को ऐसा क्या परहेज है ?  क्या कारण है कि कम्युनिकेशन अर्थात सूचना के आदान-प्रदान के लिए व्हाट्सएप पर उपलब्ध नहीं है । व्हाट्सएप पर उपलब्ध नहीं हो ना यह किसी भी व्यक्ति का व्यक्तिगत अधिकार हो सकता है, इस बात में बहस की कोई गुंजाइश नहीं ।

लेकिन जब बात लोक सेवक सरकारी, अधिकारी की है तो आम जनता की सुविधा के लिए तो कम से कम व्हाट्सएप पर उपलब्ध होना ही सरकार की नीतियों के मुताबिक इनकार नहीं किया जा सकता है । पटौदी विधानसभा क्षेत्र में ऐसे कितने नागरिक होंगे, युवा होंगे या फिर अन्य लोग होंगे जिनके पास में संबंधित अधिकारी के ऑफिस की मेल आईडी होगी ? जिससे कि अपनी कोई भी समस्या अथवा शिकायत समाधान के लिए मेल पर भेजी जा सके । वही सवाल यह भी है की आज के समय में चंडीगढ़ और पंचकूला में बैठे सरकार के मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारी तत्काल किए जाने वाले फैसले की जानकारी और उन फैसलों की प्रतियां व्हाट्सएप के द्वारा ही बिना देरी किए शेयर करते हैं, जिससे कि महत्वपूर्ण फैसले बिना किसी विलंब के अमल में लाई जा सके , यह तो विषय हुआ सरकारी स्तर पर ।

अब यह मामला सीधा सीधा चंडीगढ़ में बैठी सरकार और पटौदी की जिम्मेदारी संभाल रहे संबंधित अधिकारी के बीच का है । लेकिन स्थानीय स्तर पर ही किसी भी विभाग और उसके अधिकारी को तत्काल कोई सूचना , कोई रिपोर्ट , कोई गंभीर समस्या ही पटौदी के सबसे बड़े और जिम्मेदार अधिकारी तक पहुंचानी हो, ऐसे में यह साहब किसी भी मीटिंग में व्यस्त हो अथवा किन्ही कारणों से मोबाइल फोन ना उठा सके या फिर मोबाइल में नेटवर्क की समस्या हो तो एक ही माध्यम है की साहब को व्हाट्सएप के माध्यम से अवगत कराया जाए । लेकिन जब यह साहब व्हाट्सएप पर ही उपलब्ध नहीं है तो फिर किस प्रकार से और किस माध्यम से विभिन्न अधीनस्थ विभागों के अधिकारियों के बीच में कम्युनिकेशन बना हुआ होगा ? साथ ही आम आदमी भी किस प्रकार से अपनी समस्या अपनी परेशानी समाधान के लिए बड़े साहब तक पहुंचा सकेगा , यह भी बड़े साहब की तरह बड़ा सवाल बना हुआ प्रतीत हो रहा है ।