चंडीगढ़। अदाणी ग्रुप ने पंजाब के मोगा जिले के गांव डगरू में थोक मात्रा में गेहूं के रख-रखाव, भंडारण और परिवहन की अत्याधुनिक सुविधा विकसित की है। यह यूनिट वर्ष 2000 में थोक मात्रा में रख-रखाव, भंडारण और परिवहन की भारत सरकार की राष्ट्रीय नीति के अंतर्गत गठित की गई थी। अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स लिमिटेड को वैश्विक बोली के आधार पर यह प्रोजेक्‍ट हासिल हुआ था। एफसीआई के साथ 20 वर्ष के अनुबंध के अंतर्गत, अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स किसानों से खरीदी से प्राप्‍त हुए एफसीआई के गेहूं का रख-रखाव करती है, नवीनतम फ्यूमिगेशन और प्रीजर्वेशन की तकनीकों से लैस उच्च तकनीक वाले साइलोस में भंडारण करती है और इसे भारत के दक्षिणी भाग में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में वितरण के लिए स्‍वयं अपनी बल्‍क ट्रेनों के जरिये थोक में भेजती है। 2 लाख मीट्रिक टन भंडारण की सुविधा 2007 में चालू की गई थी, जो पिछले 13 वर्षों से क्षेत्र के लगभग 5500 किसानों की सेवा कर रही है। यूनिट को किसानों से जबरदस्त सराहना मिली है और पिछले 5 वर्षों में किसानों से औसत प्रत्यक्ष प्राप्ति प्रति वर्ष लगभग 80000 मीट्रिक टन रही है।

किसानों से गेहूं की खरीद भारतीय खाद्य निगम द्वारा की जाती है और सरकार द्वारा एफसीआई द्वारा  भुगतान आमतौर पर 48-72 घंटों के भीतर कर दिया जाता है। अदाणी ग्रुप गेहूं के संरक्षक के रूप में कार्य करता है जो एफसीआई की संपत्ति बना रहता है। गेहूं की खरीदी के समय, जब किसान और प्रशासन को मंडियों में व्‍यापक और अनियंत्रित भरमार की चुनौती झेलनी पड़ती है, ऐसे में अदाणी ग्रुप की यह सुविधा किसानों को होने वाली परेशानी को कम करने और साथ ही, प्रशासन के काम के बोझ को हल्‍का करने के लिए चौबीसों घंटे चलती रहती है।

खरीदी की चरम स्‍थिति के दौरान सुविधा प्रति दिन 1600 से अधिक वाहनों या लगभग 10000 मीट्रिक टन अनाज का रख-रखाव करती है। किसान सीधे अपने खेतों से अनाज ला सकते हैं और अनाज के हर दाने को अत्यधिक पारदर्शी तरीके से किसानों की मौजूदगी में तौला जाता है और इस काम की परिचालन गति सुनिश्चित करती है कि किसान अपने अनाज के मैकेनाइज्ड अनलोडिंग के कुछ घंटों के भीतर ही भंडारण स्‍थल से लौट सकते हैं। जबकि इसी काम के लिए उन्हें पारंपरिक मंडियों में लगभग 2-3 दिन बिताने पड़ते हैं। अनाज की अनलोडिंग और सफाई करने में भी किसानों को कोई खर्च नहीं करना पड़ता है, जबकि इसके लिए उन्हें पारंपरिक मंडियों में भुगतान करना पड़ता है।  इस सुविधा से किसानों को मौद्रिक लाभ भी मिलता है। किसानों के भरोसे और विश्वास के कारण, यह सुविधा अनाज भंडारण के लिए किसानों की पहली पसंद बन गई है। यहां उपलब्ध कराई जा रही सेवाओं से किसान इतने प्रभावित हैं कि वे धान के रख-रखाव करने के लिए ग्रुप से परिचालन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

खरीदी की तरफ से देखें तो सरकारी खरीद एजेंसियां भी श्रम लागत, परिवहन लागत और बोरियों पर काफी बचत करती हैं क्योंकि अधिकांश कार्गो थोक में संभाला जाता है। इसके अलावा, साइलो भंडारण में फसल को पोर्ट करने में नुकसान नगण्य हैं, जिससे सरकार को भारी मात्रा में अनाज की बचत होती है। साइलोस में संग्रहीत खाद्य अनाज चार साल तक ताजा रहता है।

इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के कारण, भारत सरकार देश में कई ऐसी यूनिट शुरू करने जा रही है।