चंडीगढ़, 24 सितंबर। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने मुख्यमंत्री से पीटीआई आंदोलन में गंभीरता से हस्तक्षेप कर 1983 बर्खास्त पीटीआई के करीब दस हजार परिजनों को आर्थिक तबाही से बचाने की अपील की है।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा, महासचिव सतीश सेठी व उप प्रधान मास्टर जगरोशन ने बृहस्पतिवार को जारी ब्यान में यह मार्मिक अपील की। उन्होंने बर्खास्त 1983 पीटीआई को निर्दोष बताते हुए सरकार से अविलंब उनकी सेवाएं बहाल करने के सभी विकल्पों पर गंभीरता से विचार-विमर्श करने की मांग की। प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद शिक्षा विभाग ने 1 व 2 जून को दस साल की सेवा उपरांत 1983 पीटीआई को बिना किसी पूर्व नोटिस के सेवा बर्खास्त कर दी गई थी।

उन्होंने बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बर्खास्त किए गए पीटीआई को कहीं भी दोषी नही ठहराया गया है। उन्होंने कहा कि बर्खास्त पीटीआई समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करना सरकार की मजबूरी है। उन्होंने बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त पीटीआई को रिक्त पड़े 1612 पदों के विरुद्ध एडजस्ट करने के लिए बिल्कुल मना नही किया गया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की नीयत ठीक हो तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी लागू हो सकता है और बर्खास्त 1983 पीटीआई को भी एडजस्ट किया जा सकता है।

बर्खास्त पीटीआई के सामने पैदा हुआ आर्थिक संकट

शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक धर्मेन्द्र पहलवान, बनीता यादव,प्रेस प्रवक्ता एवं शौर्य चक्र विजेता दिलबाग जाखड़ व कमेटी के सदस्य संतोष चपराना ने बताया कि 1983 बर्खास्त पीटीआई को 4 महीने से वेतन न मिलने से उनके सामने भारी आर्थिक संकट पैदा हो गया है। बर्खास्त पीटीआई के स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की फीस जमा न होने से नाम कटने की नौबत आ गई है और दुकानदारों ने राशन देने में आनाकानी करना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि सरकारी नौकरी होने के कारण अधिकांश बर्खास्त पीटीआई ने सरकारी व प्राईवेट बैंकों से 20 से 50 लाख तक का कर्ज लिया हुआ है। जिसकी किस्तें बंद होने से एक भीषण संकट पैदा हो गया है। बैंक वाले किस्त भरने का दबाव बनाने लगे हैं।

उन्होंने बताया कि बर्खास्त पीटीआई किस्त भरने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने बताया कि सरकार ने नौकरी के दौरान अकाल मृत्यु का शिकार हुए 38 बर्खास्त पीटीआई की विधवाओं को मिलने वाली मासिक वित्तीय सहायता भी बंद कर दी है, जिसके कारण उनके सामने भूखा मरने की नौबत आ गई है। उन्होंने बताया कि इन बर्खास्त पीटीआई में 25 पीटीआई विधवा हो चुकी है। 67 पीटीआई दुसरे विभागों जैसे पुलिस, रेलवे पुलिस,नेवी आदि से नौकरी छोड़ कर आए हुए हैं। 57 एक्स सर्विसमेन है, जिसमें दिलबाग जाखड़ तो शौर्य चक्र विजेता भी है। 34 जानलेवा बीमारी से ग्रस्त हैं। उन्होंने बताया कि 1983 में 80 प्रतिशत की आयु 45 से 55 के बीच है। उन्होंने कहा कि उम्र के इस पड़ाव में यह बर्खास्त पीटीआई कुछ नया काम करने की स्थिति में भी नही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से निर्दोष पीटीआई की सेवाएं बहाल करने की मांग दोहराई।

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