चंडीगढ़/पंचकूला, 23 सितम्बर। रोडवेज कर्मचारी यूनियन हरियाणा संबंधित, एआईटीयूसी व एनएफआईआर टीडब्ल्यू द्वारा केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व कर्मचारी फेडरेशनों के आह्वान पर,केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण, मजदूरों व किसानों के हितों के खिलाफ पारित किए गए कानूनों को रद्द करवाने के लिए किए गए बुधवार को पंचकूला व चंडीगढ़ प्रदर्शन किया।  सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए बढ़-चढ़कर भागीदारी की गई व जिला स्तर पर  भी उचित माध्यम द्वारा राष्टÑपति के नाम ज्ञापन सौपे गए। रोडवेज कर्मचारी यूनियन के रा’य प्रधान वीरेंद्र सिंह धनखड़, प्रदेश महासचिव पहल सिंह तंवर व वरिष्ठ उपप्रधान ओमप्रकाश ग्रेवाल ने कहा कि करोना महामारी के दौरान लोक डाउन के कारण बेरोजगारी व भुखमरी अपने चरम पर है और इस आपदा में संकटग्रस्त जनता को राहत देने की बजाय केंद्र सरकार मजदूर व किसानों के अधिकार, पूंजीपति पक्षीय कानून बनाकर समाप्त करने जा रही है। जिस तरह से किसानों व मजदूरों से जुड़े बिल पास किए जा रहे हैं, इससे देश का पेट भरने वाला किसान व देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में सहायक मजदूर भूखा मरने पर मजबूर होगा। राष्टÑपति से  अपील है कि मजदूरों व किसान विरोधी बिल जो संसद द्वारा पास किए गए हैं उन्हें स्वीकृत न किया जाए साथ ही पूरे देश में छटनी, वेतन कटौती, जबरी रिटायरमेंट आदि पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा कर समान काम के लिए समान वेतन देते हुए न्यूनतम वेतन  24000 प्रतिमाह किया जाए।  

   यूनियन के कैशियर मनजीत पहल, उप महासचिव दीपक बल्हारा व प्रवक्ता जेपी चौहान ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि देशभर के कर्मचारियों की मांग के अनुसार पुरानी पेंशन बहाल की जाए वह एनपीएस फंड में जमा देशभर के कर्मचारियों के अरबों रुपये देश की गिरती अर्थव्यवस्था को सुद्रड करने में इस्तेमाल किए जाए।कोरोना महामारी के दौरान जनता के बीच कार्य करते हुए कोरोना से मारे गए प्रत्येक कर्मचारी के परिवार को पचास लाख रुपए सहायता राशि दी जाए तथा डब्ल्यूएचओ की हिदायतों की सख्ती से पालना सुनिश्चित की जाए। साथ ही महामारी के दौरान कर्मचारियों के तबादलों पर पूर्ण रूप से रोक लगाई जाए क्योंकि इससे न केवल कर्मचारी के परिवार का स्वास्थ्य प्रभावित होता है बल्कि बच्चों की शिक्षा पर भी बुरा असर पड़ता है।

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