हाई कोर्ट ने किया स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव, भिवानी उपायुक्त, नप ईओ, नप सचिव सहित अंचल दंपति को नोटिस -दो सप्ताह में अवैध भवन निर्माण में कार्रवाई कर हाई कोर्ट ने तलब की स्टेटस रिपोर्ट -मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उपायुक्त को किए थे चार सप्ताह में कार्रवाई के आदेश, नहीं की कोई कार्रवाई, अब कोर्ट में नपेंगे आला अधिकारी, 12 अक्तूबर को होगी मामले की सुनवाई

भिवानी, 22 सितंबर। भिवानी के दिनोद गेट क्षेत्र स्थित अंचल मेटरनिटी नर्सिंग होम में शामलात भूमि पर अवैध भवन निर्माण के मामले में मंगलवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कोर्ट के आदेशों की अवमानना पर कड़ा संज्ञान लेते हुए स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव एसएन राय, भिवानी जिला उपायुक्त अजय कुमार, भिवानी नगर परिषद के निवर्तमान कार्यकारी अधिकारी मनोज यादव, नप सचिव संदीप गर्ग सहित डॉ विनोद अंचल व डॉ अनिता अंचल को नोटिस जारी कर दिया है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने अंचल मेटरनिटी नर्सिंग होम के अवैध भवन निर्माण मामले में दो सप्ताह के अंदर कार्रवाई कर स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। इसी के साथ तीसरे सप्ताह में फिर मामले की सुनवाई के भी आदेश दिए हैं। इस मामले में 12 अक्तूबर को हाई कोर्ट में सुनवाई होगी।

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार द्वारा 28 जुलाई को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अंचल दंपति के खिलाफ अवैध भवन निर्माण मामले को लेकर जनहित याचिका डाली थी। जिस पर जिस पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रविशंकर झा व न्यायाधीश अरूण पल्ली की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए अवैध भवन निर्माण में चार सप्ताह में जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। याचिकाकर्ता बृजपाल सिंह परमार ने आरोप लगाया था कि डॉ विनोद अंचल व डॉ अनिता अंचल द्वारा हरियाणा म्यूनिसिपल एक्ट 1973, हरियाणा बिल्डिंग कोड 2017, हरियाणा फायर सर्विसेज एक्ट 1973 एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिशा निर्देश 2016 के प्रावधानों का उल्लंघन कर शामलात भूमि पर अवैध निर्माण किया है। अवैध निर्माण की जगह पर वर्तमान में अस्पताल का संचालन भी किया जा रहा है। जिस पर हाई कोर्ट ने उपायुक्त को जांच कर चार सप्ताह में कार्रवाई के आदेश दिए थे। 

ये है अंचल नर्सिंग होम अवैध भवन निर्माण का पूरा प्रकरण

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि 11 सितंबर 2017 को डॉ अंचल ने नगर परिषद में भवन निर्माण नक्शा पास की अर्जी लगाई थी। जिस पर 9 नवंबर को नप ने मलकियत के सबूत मांगे। दिसंबर में बिना नक्शा पास कराए ही डॉ अंचल ने अस्पताल भवन का निर्माण शुरू कर दिया। 28 मार्च 2018 को नगर परिषद ने अस्पताल भवन निर्माण की भूमि की दो यूनिट नंबर वाईए 65बी/6 व वाईए 65 बी/9 को रदद कर दिया। 4 अक्तूबर 2017 को बृजपाल सिंह परमार ने शहर के 12 नर्सिंग होम की आरटीआई में जानकारी मांगी थी। 7 अप्रैल 2018 को अंचल नर्सिंग होम भवन की आरटीआई मांगी गई। सूचना नहीं देने पर प्रथम अपील अधिकारी सीटीएम ने 21 दिसंबर को एक सप्ताह में जवाब देने के आदेश दिए।

राज्य सूचना आयोग ने भी 23 जनवरी 2020 को इस मामले में नप सचिव को दो सप्ताह के अंदर सूचना देने के आदेश देते हुए 25 हजारजुर्माने का नोटिस जारी किया। 23 मई 2020 को आरटीआई के जरिए फायर विभाग से डॉ अंचल अस्पताल की एनओसी की जानकारी मांगी। इसका जवाब आया कि अंचल नर्सिंग होम नाम से कोई एनओसी नहीं है। इसी मामले में नप ईओ 20 फरवरी 2020 को अस्पताल भवन से जुड़े दस्तावेज तलब किए थे। 5 मार्च 2020 को दस्तावेज नहीं दिए तो ईओ ने अंचल को नोटिस जारी कर दिया। 20 मार्च 2020 को उपायुक्त को भी अंचल नर्सिंग होम में शामलात भूमि पर कब्जा की शिकायत दी गई। डीसी ने भिवानी एसडीएम को जांच अधिकारी नियुक्त किया। एसडीएम ने 28 मई को सभी पक्षों को जांच के लिए तलब किया था। 2 जून को शिकायतकर्ता तो एसडीएम के समक्ष पेश हुआ था, मगर डॉ अंचल जांच में नहीं आए थे।

इसी दिन नप ईओ ने भी पत्र जारी कर तीन अधिकारियों की भवन निर्माण की जांच के लिए कमेटी बनाई थी और काम रुकवाकर भवन सील करने के आदेश दिए थे। 12 जून को फिर एसडीएम ने डॉ अंचल को जांच में शामिल होने आदेश दिए थे। इसी दिन डॉ पेश हुआ था, मगर भवन से संबंधित दस्तावेज जमा नहीं कराए थे। 15 जून एसडीएम ने जांच में सहयोग नहीं करने पर 2 जुलाई को फिर मामले में पेश होने के आदेश दिए थे। इस दिन जांच अधिकारी ही कार्यालय में नहीं आए थे। 16 जून को नप ईओ ने अपनी ही जांच कमेटी पर आरोप लगाते हुए जानबूझकर कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाए थे और जांच में शामिल कर्मचारियों की उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजने की चेतावनी दी थी।

इस मामले में स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन ने कई बार संबंधित अधिकारियों व उपायुक्त को कई बार शिकायत व रिमाइंडर दिए, मगर फिर भी हाई कोर्ट के आदेशों पर कोई कार्रवाई नहीं थी, इसी के बाद अवमानना को लेकर फिर से संगठन ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, इसी में ये आदेश हुए हैं। 

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