22 सितम्बर 2020. स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि एक ओर मोदी सरकार जबरदस्ती किसान बिल पास करवाके किसानों को ठगकर उन्हे आर्थिक व सामाजिक रूप से बर्बाद करके किसानों को बड़ी-बडी कम्पनियों का गुलाम बनाने का सुनियोजित षडयंत्र सत्ता दुरूपयोग से कर रही है, वहीं रबी फसल 2020-21 के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इस कोविड संकट काल में भी मात्र ढाई से छह प्रतिशत बढोतरी करके ना केवल किसानों के साथ क्रूर मजाक कर रही है, अपितु एमएसपी बढ़ाने के नाम पर धोखाधडी भी कर रही है। विद्रोही ने कहा कि किसान को भावनात्मक रूप से ठगने मोदी सरकार ने वर्ष 2020-21 रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य एक माह पहले घोषित किये है ताकि किसान विरोधी बिलों से उपजे विवाद को एमएसपी बढ़ाने के नाम पर कम किया जा सके। रबी फसल एमएसपी घोषित होते ही मोदीजी का मीडिया में प्रयोजित गुणगान प्रारंभ भी हो गया। मोदी सरकार ने वर्ष 2020-21 के घोषित रबी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य में गेंहू का भाव 75 रूपये बढाकर 1925 रूपये, जौ का भाव 1525 से बढाकर 1600, चने का भाव 4875 से बढ़ाकर 5100, मसूर का भाव 4800 से बढ़ाकर 5100 व सरसों का भाव 4425 से बढ़ाकर 4650 रूपये प्रति क्विंटल किया है। विद्रोही ने कहा कि 6 रबी फसलों के भाव में यह वृद्धि मात्र ढाई से छह प्रतिशत प्रति क्विंटल की है जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। इस समय पूरा देश कोरोना संकट के चलते भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इस आर्थिक संकट की मार किसानों पर सबसे ज्यादा पड़ी है। इस संकट के समय किसानों की पर्याप्त आर्थिक मदद करने की बजाय गेंहू, जौ, सरसों, चने व मसूर फसलों के भाव में मात्र ढाई से पांच प्रतिशत बढोतरी करके मोदी-भाजपा सरकार ने किसानेां के हरे घावों पर नमक छिड़कर उनके साथ क्रूर मजाक किया है। विद्रोही ने कहा कि किसान विरोधी बिलों को जायज ठहराने वाली संघी सरकार ने जान-बूझकर रबी फसल एमएसपी घोषित करने की नौटंकी की है ताकि यह कहकर किसानों को मूर्ख बनाया जा सके कि भविष्य में भी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली खत्म नही होगी। अच्छा होता सरकार किसानों को ठगने की नौटंकी करने की बजाय कानून बनाकर यह सुनिश्चित करती कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम भाव पर किसान फसल खरीदना कानूनी अपराध होगा। लेकिन किसान विरोधी सरकार यह कदम उठाने की बजाय जुमलों, झूठे वादों से किसानों को ठगना चाहती है और भविष्य में किसानों को बड़े पूंजीपतियों के रहमो-करम पर छोड़कर उनकी फसलों को औने-पौने दामों में लूटकर अपने चहेते पूंजीपतियों की तिजौरियों को भरने का षडयंत्र कर चुकी है। Post navigation अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिती की चेतावनी दिल्ली- आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर।