नई नियुक्तियों में नहीं मिला भूपेंद्र हुड्डा को पद !

मंडन मिश्रा

भिवानी : कांग्रेस हाईकमान द्वारा हुड्डा को हरियाणा में कमजोर किया जाए । इसका असर देखने को भी मिला है क्योंकि सोनिया गांधी के विरोध में पत्र लिखने वालों में भूपेंद्र हुडा का नाम भी था । हुडा हरियाणा से एकमात्र नेता थे जिन्होंने के विरोध में पत्र लिखा था। किसी समय कांग्रेस हाईकमान पर मजबूत पकड़ रखने वाले चौ.भूपेंद्र सिंह हुड्डा की चौधर के दिन अब कांग्रेस पार्टी में कमजोर लगते हैं। हाल ही में जारी कांग्रेस की राष्ट्रीय स्तर पर नियुक्तियों की सूची से तो कुछ ऐसा ही संकेत मिल रहा है। इन सूचियों से भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम जहां गायब है। वहीं उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को एक सूची में महज विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। कुलदीप बिश्नोई को दीपेंद्र के समान ही महत्व दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अजय सिंह यादव को भी इस सूची में पूरी तरह दरकिनार किया है, जबकि रणदीप सिंह सुरजेवाला को हरियाणा के सबसे मजबूत कांग्रेसी के तौर पर प्रदर्शित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। वैसे तो भूपेंद्र हुड्डा का हरियाणा कांग्रेश पर अभी एकछत्र राज दिखाई दे रहा है क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष शैलजा नाम मात्र की दिखाई दे रही है उनके द्वारा अभी तक किसी प्रकार का संगठन विस्तार नहीं किया गया है और ना ही जिला अध्यक्षों की भी नियुक्ति की गई है । अगर देखा जाए तो पूरी कांग्रेश हुडा में ही नजर आती है क्योंकि कांग्रेस के सभी विधायक भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ ही है।

कांग्रेस हाईकमान पर हुड्डा की मजबूत पकड़ वर्ष 2005 में उस समय देखने को मिली थी, जब चौ. भजनलाल के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत हासिल करने वाली कांग्रेस ने हुड्डा के सिर पर सीएम का ताज रख दिया था। भजनलाल को सीएम पद से वंचित रखने के बाद उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस से बगावत करते हुए हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी का निर्माण कर लिया था। दक्षिणी हरियाणा के दिग्गज नेता राव इंद्रजीत सिंह से लेकर कैप्टन अजय सिंह यादव तक ने कांग्रेस की राजनीति में हुड्डा का वर्चस्व कम करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। इसके बावजूद यह दोनों नेता हुड्डा का कुछ भी बिगाड़ने की स्थिति में नहीं रहे। किरण चौधरी, अशोक तंवर व कांग्रेस के कई अन्य नेताओं ने पार्टी हाईकमान पर हुड्डा की पकड़ कमजोर करने के भरसक प्रयास किए, लेकिन हाईकमान ने हुड्डा को पूरी तरह मजबूत बनाए रखा। हुड्डा का विरोध करने वाले तमाम कांग्रेसी नेताओं को पार्टी हाईकमान ने पूरी तरह हाशिए पर ही रखा।

वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। इसके बावजूद जोड़-तोड़ की राजनीति में दक्षता हासिल कर चुके हुड्डा ने न सिर्फ प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनाई, बल्कि सरकार को पूरे 5 साल आसानी से चलाया। अपनी ही पार्टी के विरोधियों को दरकिनार करते हुए हुड्डा ने पार्टी हाईकमान पर अपनी मजबूत पकड़ को बरकरार रखा। उनके विरोधियों ने पार्टी हाईकमान पर उन्हें साइडलाइन करने के लिए पूरा दबाव बनाया गया, लेकिन पार्टी हाईकमान ने किसी भी कांग्रेसी नेता की एक नहीं सुनी।

हाल ही में राष्ट्रीय कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर विरोध की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता चुने हुए अध्यक्ष की मांग करने लग गए थे। इन नेताओं में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम भी शामिल रहा। फिलहाल इस विरोध का पार्टी नेतृत्व पर कोई असर नहीं हुआ। असर हुआ तो सिर्फ भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कांग्रेस में वर्चस्व में कमी का। हाल ही में जारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नियुक्तियों की सूची में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कहीं कोई स्थान नहीं दिया गया है। सुरजेवाला का नाम कई सूचियों में शामिल है, तो दीपेंद्र और कुलदीप बिश्नोई को एक सूची में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। एक तरह से कुलदीप और दीपेंद्र की नियुक्ति एक बैलेंस की तरह की गई है।

अभी 2 दिन पूर्व जब रणदीप सुरजेवाला अपने हलके में गए तो उनका हरियाणा में प्रवेश करने पर जोरदार स्वागत किया गया और उनके समर्थकों द्वारा यह भी नारा दिया गया कि दिल्ली के बाद अब हरियाणा की बारी है । दिल्ली और हरियाणा दोनों पर हमारा ही राज होगा।देखना यह होगा कि आने वाले समय में कांग्रेस की यह राजनीति क्या गुल खिलाती है।

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