-कमलेश भारतीय

यदि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे या एक्ट्रेस कंगना रानौत के विवाद की बात करें तो अभी तक यही कहा जा सकता है कि न तुम हारे, न हम हारे । तुम्हारी भी जय जय । हमारी भी जय जय । यही साबित हुआ । पांच दिन के लिए कंगना महाराष्ट्र आई और खूब खनकी । जैसे कंगना खनकती है । पहले अपने उस घर को देखने गयी जो उसके मुम्बई आने से पहले सीएमसी द्वारा तोड़ दिया गया, बिना कोर्ट की कार्यवाही की इंतज़ार किए । फिर वो कहा जो दूर तक सुनाई दिया-उद्धव , तूने आज मेरा घर तोड़ा है , कल तेरा घमंड टूटेगा । समय एक समान नहीं रहता । इसका पहिया घूमता रहता है । और यह घूमेगा । यह मेरा घर नहीं । राम मंदिर है और यह फिर बनेगा ।

इसे एक बाबर ने तोड़ दिया । मैं अयोध्या और कश्मीर को लेकर फिल्में बनाऊंगी । इस तरह के फिल्म के बराबर के डायलाॅग । क्या कहने । स्क्रिप्ट किसने लिखी ? यह भेद खुलने में देर नहीं लगी । सोशल मीडिया में कंगना को झांसी की रानी बनाया गया तो विरोधियों ने ऐसे ऐसे सीन शेयर किए कि शर्म आ जाए और पूछा कि वह है आपकी झांसी की रानी तो फिर यह कौन है ? कैरेक्टर के आधार पर तो फिर अनिल कपूर प्रधानमंत्री ही माने जायेंगे । नायक फिल्म में क्या बढ़िया रोल निभाया । पर वे चुनाव लड़ना मंजूर नहीं करते । अपनी फिल्मी दुनिया में खुश हैं । नाना पाटेकर ने क्रांतिवीर में क्या नहीं किया लेकिन क्रांति करने सड़क पर उतरे नहीं । दिलीप कुमार, मनोज कुमार ने भी क्रांति की पर फिल्म के पर्दे पर । फिल्म और यह दुनिया दोनों में काफी फर्क । फिर झांसी की रानी क्यों बनने चली ?

राज्यपाल से मुलाकात के दूसरे दिन मनाली के लिए वापसी । राह में ट्वीटर की जंग जारी रखी और बताया मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को कि मुझे कमज़ोर न समझें क्योंकि ठाकरे ने भी यही कहा था कि मेरी चुप्पी को कमजोरी न समझी जाए । यानी दोनों एक दूसरे को चेतावनी दे रहे हैं कि हमें कमज़ोर समझने को भूल न की जाए ।

सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने की शुरू की जंग में नेपोटिज्म और ड्रग्स कनेक्शन सामने लाने वाली कंगना का कहना है कि आखिर मुख्यमंत्री को इतनी चिंता क्यों है ? क्योंकि ये नेपोटिज्म और ड्रग्स कनेक्शन वाले लोग उनके बेटे आदित्य ठाकरे के मित्र हैं । इस नाते उन्हें चिंता सता रही है । कंगना कह रही है कि मैं सुरक्षा के घेरे में भी असुरक्षित रही और पांच दिन बाद लौट आई अपने घर । मेरी कर्म भूमि है महाराष्ट्र और मुझे यहां काम नहीं करने दिया जा रहा । राज्यपाल को मिल कर सारी बात बता कर । इस सारे मामले के बीच कंगना की मां ने भाजपा ज्वाइन कर ली और कंगना ने भी जय श्री राम के नारों से मुम्बई को गुंजा दिया । सीधी सीधी सी बात कि महाराष्ट्र सरकार को जितना बदनाम कर सको , करो ताकि राष्ट्रपति राज की मांग की जा सके और कर भी दी । रामदास अठावले इसी काम पर लग गये । और तो और पूर्व नेवी ऑफिसर मदन शर्मा से भी मांग करवा दी । नहीं । यह राजनीति नहीं । यह तो कूटनीति है । इस कूटनीति का जाने अनजाने कंगना एक कैरेक्टर बन गयी । यह कूटनीति इसके राजनीति में काम आ सकती है पर फिल्म केरियर समय से पहले खत्म होने का खतरा है । यह सोचना कंगना का काम कि एक्ट्रेस बने रहना है या पाॅलिटिक्स ?

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