राजनैतिक दल नहीं कर रहे आइसीएमआर के नियमों की पालना
गब्बर विज की चेतनावनी का नजर नहीं आ रहा है कोई असर
गुरुग्राम में फैल रहा है कोरोना, प्रशासन का नहीं है कोई ध्यान

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

कोरोना महामारी ने कहर बरपा रखा है। मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, अनेक मंत्री और विधायक इसकी चपेट में आ चुके हैं परंतु फिर भी राजनैतिक दल कोविड के नियमों की पालना नहीं कर रहे। सबसे अधिक कोरोना से ग्रसित भाजपा के नेता हुए हैं और इससे हम कह सकते हैं कि सबसे अधिक लापरवाही भाजपा के नेता ही कर रहे हैं। आज मुख्यमंत्री कोरोना से ठीक होकर गुरुग्राम से चंडीगढ़ रवाना हुए तो उन्होंने भी कहा कि कोविड से डरने की जरूरत नहीं, अपितु सावधानी बरतने की आवश्यकता है। मुझसे भी कोई लापरवाही हुई, जिससे मैं चपेट में आया। कोविड से बचाव नियमों का पालन करने से ही हो सकता है।

अनिल विज उर्फ गब्बर प्रदेश के गृहमंत्री भी हैं और स्वास्थ मंत्री भी। अर्थात दोनों विभागों में ही उनकी जिम्मेदारी बनती है कि कोविड के नियमों का पालन कराएं और कोविड के लिए जनता को सुरक्षा उपलब्ध कराएं। स्वास्थ सेवाओं को बेहतर बनाएं लेकिन देखा यह जा रहा है कि न तो प्रदेश में कोविड के नियमों का पालन हो पा रहा है और न ही स्वास्थ सेवाएं ही संतोषजनक काम कर पा रही हैं। विज साहब समय-समय पर ब्यान तो देते रहते हैं लेकिन लगता है कि नाम को गब्बर हैं, वास्तव में ब्यान बहादुर हैं। अभी किसानों पर लाठी चार्ज हुआ। बकौल विज साहब के किसानों पर लाठी चार्ज नहीं हुआ। पर उन्होंने इसपर यह अवश्य कहा कि कोविड का नियम पालन न करने वालों पर कार्यवाही होगी। चाहे वह चुनाव प्रचार में हों या राजनैतिक कार्यक्रम कर रहे हों और सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सभी पर कार्यवाही होगी लेकिन उस दिन के पश्चात भी कहीं कोई कार्यवाही नजर ही नहीं आई।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ प्रतिदिन कार्यकर्ताओं से मीटिंग कर रहे हैं और जैसा कि कोविड के नियमों में है कि 100 से अधिक व्यक्ति कहीं एकत्र हो नहीं सकते और उनकी सभाओं में तो सदा ही अधिक व्यक्ति होते हैं। उसी प्रकार अभय चौटाला हों या आज बलराज कुंडू हों, हर जगह इन आदेशों की धज्जियां लगातार उड़ रही हैं। लगता है कि यह नियम केवल आम, गरीब, निरीह व्यक्तियों के लिए ही बने हैं। राजनैतिक कार्यकर्ताओं, नेताओं व मंत्रियों आदि के लिए इन नियमों का पालन करने की बाध्यता नहीं हैं। परिस्थितियां देखकर तो ऐसी ही लगता है, हम नहीं कह रहे। हम तो यह कह सकते हैं कि अगर हमारे गब्बर या ब्यान बहादुर अनिल विज इन पर कार्यवाही करते हैं तो शायद प्रदेश के लिए अच्छा होगा, क्योंकि वह इन पर कार्यवाही करेंगे तो आम जनता इसे उदाहरण देख अपने आप समझ जाएगी और इस कार्य में लगे हुए अधिकारियों के काम में भी आराम मिल जाएगा। जनता सदा ऊपर वाले का अनुकरण करती है। अत: जब तक गृहमंत्री इन पर कार्यवाही नहीं करेंगे, तब तक आम जनता भी जानते-बूझते हुए भी नियमों का पालन करने से मुक्त होने की सोचेगी।

अब गुरुग्राम की ओर देखिए। गत दिनों से लगातार 300 से अधिक मरीज आ रहे हैं लेकिन न जनता में इसका डर दिखाई देता और न ही प्रशासन में तथा हमारे जनप्रतिनिधि तो आजकल मोदी जी का जन्मदिन मनाने में लगे हैं। प्रशासन न जाने क्यों लापरवाही बरत रहा है?

गुरुग्राम हरियाणा का पेट भरने वाला जिला है। शायद ही कोई ऐसा प्रमुख नेता हो, जिसका गुरुग्राम में घर न हो या संबंध न हो। देश के गृहमंत्री, प्रदेश के मुख्यमंत्री और न जाने कौन-कौन कोरोना से निजात पाने के लिए गुरुग्राम आ चुके हैं।

आज मुख्यमंत्री सभी अधिकारी और गुरुग्राम के भाजपा नेताओं के सम्मुख कह गए कि सुरक्षा उपायों से ही कोरोना से बचा जा सकता है। प्रशासन कोरोना से बचाव के आइसीएमआर के निर्देशों का पालन क्यों नहीं करता।

जिस प्रकार गुरुग्राम में कोरोना के परिणाम रोज आ रहे हैं, उससे अनुमान होता है कि अब यह कम्युनिटी स्प्रैड में पहुंच गया है। ऐसी अवस्था में तो सार्वजनिक स्थानों और उन कार्यालयों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जहां जनता का आवागमन होता रहता है। हमने तो कभी सुना नहीं कि प्रशासन ने कभी बाजार के दुकानदारों का कोरोना टैस्ट कराया हो। चलिए यह तो जनता की बात आई। यह भी नहीं सुना कि प्रशासन ने अपने कार्यालय जैसे नगर निगम, जीएमडीए, हुडा, लघु सचिवालय, कोर्ट परिसर आदि में कभी इन्होंने कोरोना टैस्ट कराए हों।

नगर निगम, जीएमडीए, हुडा आदि कार्यालयों में तो कांट्रैक्ट पर अनेक 60 वर्ष से अधिक के व्यक्ति भी कार्यरत हैं। इन कार्यालयों में जनता का आवागमन भी निर्बाध गति से होता रहता है। कार्यालयों में कर्मचारियों की संख्या भी बहुत है। ऐसे में क्या उन सभी कर्मचारियों का कोरोना टैस्ट नहीं होना चाहिए? जब विधानसभा में विधायकों का और चंडीगढ़ सचिवालय में सभी कर्मचारियों के टैस्ट होते हैं तो गुरुग्राम के इन कार्यालयों में यह टैस्ट क्यों नहीं?

बुरा सोचना तो नहीं चाहिए, पर सच्चाई यह है कि टैस्ट में यदि यहां कोरोना पीडि़त व्यक्ति मिले और उनके द्वारा कोरोना फैला तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? गुरुग्राम प्रशासन के अधिकारी या प्रदेश के गृहमंत्री गब्बर।

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