समाधान टीम ने चंडीगढ़ प्रशासक समेत निगम पार्षदों को लिखा पत्र
पार्क/ग्रीन बेल्ट के रख रखाव के नाम पर वाटर सेस लगाना गलत: सूद

चंडीगढ़। चंडीगढ़ वाटर सप्लाई बायलाज (अमेंडमेंट)-2020 लागु होने के बाद इसका चौतरफा विरोध हो रहा है। इसी कड़ी में समाज सेवी संस्था समस्या समाधान टीम ने चंडीगढ़ के प्रशासक और उच्च अधिकारियो समेत सभी निगम पार्षदों को ये अधिसूचना वापिस लेने के लिए पत्र लिखा है। मनोज शुक्ला ने कहा की इस अधिसूचना के लागु होने के बाद चंडीगढ़ के लोगो को पंजाब और हरियाणा के लोगों के मुकाबले पानी के प्रयोग के लिए अधिक बिल अदा करना पड़ेगा और अब मौजूदा पानी के रैट में 50 प्रतिशत से लेकर 200 त्न तक की बढ़ोतरी हो गयी है। इस अधिसूचना के तहत इस रेट को हर साल 3 फीसदी के हिसाब से बढाने का भी नियम है, जो की सरासर गल्त नियम है। इससे शहरवासियो खास करके मध्यम और गरीब वर्ग के लोगों पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा और कोरोना के कारण उनको अपनी आजीविका कमाने में पहले ही दिक्कत आ रही है ऐसे में बढ़े हुए पानी के बिल देने बहुत मुश्किल होगी।

ओंकार सैनी ने कहा की जो दुकानदार अपने काम में पानी का इस्तेमाल करते है उनसे पानी का बिल लेना बनता है परन्तु इस अधिसूचना के बाद एससीओ, एससीएफ और बे-शॉप्स के दुकानदार जिनके पास पानी का कनेक्शन भी नही है, उनसे भी 1000 रुपय पानी के नाम के लिए जायगे, जो की सरासर गलत है, ये तो एक हिसाब का गुंडा टैक्स है, इसलिए हम इसका विरोध करते है पर प्रशासन से इस अधिसूचना पर पुनर्विचार करके संसोधित करने की मांग करते है।

समस्या समाधान टीम के प्रधान एके सूद ने कहा कि नगर निगम के तहत आने वाले गांव में न तो पब्लिक पार्क है और न ही ग्रीन बेल्ट एरिया है इसलिए नगर निगम क गावों में रहने वाले लोगो पर पब्लिक पार्कों और ग्रीन बेल्ट के रखरखाव के लिए प्रति कनेक्शन पर प्रति महीने 20 वाटर सेस लगाने का नियम उचित नही है। इसके इलावा पब्लिक पार्कों और ग्रीन बेल्ट के एरिया में कही भी साफ पीने का पानी प्रयोग नही होता इसलिए लोगो पर प्रति महीने 20 वाटर सेस लगाना सरासर गलत है और सरकार को ये नियम बदलने चाइए।

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