चंडीगढ़। बिजली इन्जीनियर फेडरेशन ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को जल्दबाजी में संसद में न पारित करने हेतु संसद सदस्यों से अपील की है। सांसदों को पत्र भेजकर बिल को स्टैंडिंग कमीटी में भेजने हेतु प्रभावी भूमिका निभाने की अपील पर आॅल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को जल्दबाजी में संसद में न पारित करने हेतु संसद सदस्यों से  अपील की है।

फैडरेशन ने सांसदों को पत्र भेजकर बिल को स्टैंडिंग कमीटी में भेजने हेतु  प्रभावी भूमिका निभाने का अनुरोध किया है। जिससे बिल पर सभी स्टेक होल्डरों को अपनी राय रखने का पूरा अवसर मिल सके। फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने 14 सितम्बर से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के पहले सांसदों को कल पत्र भेजकर इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को व्यापक जनहित में रोकने की अपील की है। फैडरेशन ने कहा है कि केंद्रीय विद्युत् मंत्री ने राज्यों के बिजली मंत्रियों की मीटिंग में आश्वासन दिया है कि रा’यों की राय को सम्मिलित करते हुए बिल में संशोधन किया जाएगा अत: सांसदों को मांग करना चाहिए कि बिल संसद में रखने के पहले नया संशोधित ड्राफ्ट जारी किया जाए और उसपर सभी स्टेक होल्डरों से पुन: राय ली जाये। साथ ही सभी राज्यों के मुख्यमन्त्रियों को भी पत्र भेजकर बिल वापसी हेतु प्रभावी भूमिका निभाने की अपील की है।

फैडरेशन ने पत्र में कहा है कि संविधान में बिजली समवर्ती सूची में है जिसका तात्पर्य है कि बिजली के मामले में राज्यों का बराबर का अधिकार है ऐसे में देश के कई प्रान्तों की सरकारों द्वारा  इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के कई प्राविधानों पर गंभीर सवाल खड़ा कर देने के बाद जरूरी हो गया है कि बिल को वापस लिया जाये और बिल के सभी विवादस्पद प्राविधानों पर राज्य सरकारों सहित सभी स्टेक होल्डरों खासकर बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों व् इंजीनियरों के फेडरेशनों से विस्तृत वार्ता की जाए।

आॅल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फैडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे द्वारा लोकसभा व राजयसभा के सभी सांसदों को पत्र भेजकर की गई अपील में कहा है कि बिजली का टैरिफ, श्रेणी विशेष के उपभोक्ताओं को टैरिफ में सब्सिडी देने, राज्य नियामक आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का चयन करने, उपभोक्ता के हित में महंगी बिजली के क्रय करारों को रद्द करने और निजीकरण के बजाये सार्वजानिक क्षेत्र में बिजली वितरण बनाये रखने जैसे कई बुनियादी सवाल हैं जो रा’यों के अपने अधिकार क्षेत्र में आते है किन्तु  इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के जरिये इसमें केंद्र सरकार का सीधा हस्तक्षेप हो जाएगा जो संविधान प्रदत्त संघीय ढाँचे का क्षरण है अत: इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को संसद में जल्दबाजी में पारित कराने से रोका जाना चाहिए और वापस लिया जाना चाहिए। फेडरेशन के पत्र में कहा गया है कि पूर्व में  भी ऐसे बिल पहले ऊर्जा मामलों की संसद की स्टैंडिंग कमीटी को भेजे जाते रहे हैं ऐसे में बिल को जल्दबाजी में पारित कराने के बजाये इसे स्टैंडिंग कमीटी को भेजा जाए।

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